निर्वाचन आयोग (ईसी) ने मंगलवार को कहा कि उसने असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन शुरू कर दिया है और सीटों के समायोजन के लिए 2001 जनगणना के आंकड़ों का उपयोग किया जाएगा. आयोग ने कहा कि प्रक्रिया पूरी होने तक राज्य में नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन पर एक जनवरी, 2023 से प्रभावी प्रतिबंध लगा दिया गया है.


आयोग ने बताया कि परिसीमन अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत, असम में निर्वाचन क्षेत्रों का अंतिम परिसीमन 1971 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर 1976 में तत्कालीन परिसीमन आयोग द्वारा प्रभावी किया गया था.


जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 8ए के अनुसार असम की विधानसभा और संसदीय सीटों के पुनर्निर्धारण का कदम केंद्रीय कानून मंत्रालय के एक अनुरोध के बाद शुरू किया गया है. परिसीमन एक विधायी निकाय वाले देश या राज्य में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा या सीमाओं को निर्धारित करने की प्रक्रिया है.


निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा, “मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे व अरुण गोयल के नेतृत्व वाले आयोग ने असम के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया है कि वह एक जनवरी 2023 से राज्य में परिसीमन की कवायद पूरी होने तक नई प्रशासनिक इकाइयों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार के साथ मामला उठाएं.”


इसमें कहा गया, “जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 170 के तहत अनिवार्य है, जनगणना के आंकड़े (2001) का उपयोग राज्य में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के पुन: समायोजन के उद्देश्य से किया जाएगा.”


बयान में कहा गया, “अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों का आरक्षण भारत के संविधान के अनुच्छेद 330 और 332 के अनुसार प्रदान किया जाएगा.” निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के उद्देश्य से आयोग अपने स्वयं के दिशानिर्देशों और कार्यप्रणाली को डिजाइन कर अंतिम रूप देगा.


आयोग द्वारा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिए एक मसौदा प्रस्ताव को अंतिम रूप दिए जाने के बाद, इसे आम जनता से सुझावों और आपत्तियों को आमंत्रित करने के लिए केंद्रीय और राज्य राजपत्रों में प्रकाशित किया जाएगा. असम की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 20 मई, 2026 को समाप्त होगा. राज्य में अभी 14 लोकसभा, 126 विधानसभा और सात राज्यसभा सीटें हैं.


केंद्र सरकार ने 28 फरवरी 2020 को सुरक्षा मुद्दों के कारण असम, नागालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में परिसीमन को स्थगित करने वाली अपनी पहले की अधिसूचनाओं को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि यह कवायद “अब” की जा सकती है क्योंकि अब पहले वाली परिस्थितियां नहीं हैं.


पूर्वोत्तर के चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के लिये मार्च 2020 में उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना मुखर्जी के नेतृत्त में आयोग का गठन किया गया. परिसीमन आयोग को तीन मार्च 2021 को एक साल का विस्तार देते हुए कानून मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया कि आयोग अब सिर्फ जम्मू-कश्मीर में परिसीमन पर विचार करेगा. बाद में, 15 नवंबर 2022 के अपने पत्र में कानून मंत्रालय ने निर्वाचन आयोग से असम में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करने का अनुरोध किया.


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