Delhi News: बाहरी उत्तरी जिला की सायबर क्राईम थाने की पुलिस ने ठगों के एक ऐसे गिरोह का खुलासा करने में कमायाबी पाई है जो सरकारी अधिकारी बनकर फैक्ट्री मालिकों से ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. ये ठग खुद को देल्ही स्टेट इंडस्ट्रियल एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (DSIIDC) के अधिकारी बता कर फैक्ट्री मालिकों को झांसे में लेते थे. ये उन्हीं फैक्ट्री मालिकों को टारगेट पर लेते थे जिनके जमीन का लीज/रेंट बाकी होता था. ठगों का यह गिरोह फैक्ट्री मालिक को बिना ब्याज या टैक्स के रकम जमा करने का लालच देता था और जो इनके जाल में फंस जाता था उनसे यह ऑनलाइन माध्यम से भुगतान करवा कर ठगी को अंजाम देते थे.


मास्टरमाईंड समेत कुल पांच ठगों को दबोचा


इस मामले में पुलिस ने मास्टरमाईंड समेत कुल पांच ठगों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान विक्रम सक्सेना, वेद प्रकाश, मोहम्मद सकलैन नकवी उर्फ असरफ, रवि चौधरी और शाह हसन नकवी के रूप में हुई है. ये गाजियाबाद, यूपी और दिल्ली के रहने वाले हैं. इनके कब्जे से पुलिस ने 05 एंड्रॉइड मोबाइल फोन, 02 कीपैड मोबाइल फोन, 02 डेबिट कार्ड, 02 चेकबुक बरामद किया गया है. आरोपी विक्रम सक्सेना इस गिरोह का मास्टरमाईंड है. इसने 2017 में प्रॉपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया और DSIIDC के कब्जे वाली प्रोपर्टी पर काम करने लगा. DSIIDC अधिकारी बन कर ठगी के एक मामले में दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने साल 2020 में इसे गिरफ्तार किया था. उस मामले में यह 18 महीने की जेल काट कर साल 2021 में बेल पर बाहर आया था. यह ठगी के अन्य मामलों में भी लिप्त रहा है. इस पर आधा दर्जन ठगी के मामले कनॉट प्लेस थाना और EOW में दर्ज हैं.


एनसीआरपी पर दर्ज की शिकायत


बाहरी उत्तरी जिले के डीसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि, साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर दी गयी शिकायत में बवाना के शिकायतकर्ता गुरविंदर कुमार टंडन ने बताया कि उनके फैक्ट्री की जमीन के किराए को बिना ब्याज के जमा करने के नाम पर उनसे 175000 रुपये की ठगी कर ली गयी. कथित आरोपी ने खुद का परिचय DSIIDC के अधिकारी नवीन गुप्ता के रूप में दिया था. इस तरह से बवाना के कई फैक्ट्री मालिकों को ठगा जा चुका है. शिकतकर्ता के बयान के आधार पर मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की गई.


बवाना साइबर थाने में भी दर्ज हुई थी ठगी की दो शिकायत


इस शिकायत के दर्ज किए जाने से पहले ठगी के दो और ऐसे ही मामले बवाना के साइबर क्राइम थाने में दर्ज किए गए थे. उन मामलों में भी ठगों ने DSIIDC का अधिकारी बन कर फैक्ट्री मालिक महेश कुमार से 152250 रुपये और एक अन्य फैक्ट्री मालिक से 181926 रुपये की ठगी को अंजाम दिया था. शुरुआती जांच के दौरान पुलिस को DSIIDC के अधिकारी बन कर  फैक्ट्री मालिकों से ठगी किये जाने की कुल 10 शिकायतें प्राप्त हुई.


मनी ट्रेल और मोबीके नंबरों से पुलिस पहुंची गाजियाबाद


मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी ऑपरेशन एसीपी यशपाल सिंह की देखरेख में साइबर थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर रमण कुमार सिंह के नेतृत्व में इंस्पेक्टर देवेंद्र, एसआई दीपा, एसआई विशाल चौधरी, हेड कॉन्स्टेबल संजय एवं अन्य की टीम का गठन किया गया था. जांच में जुटी पुलिस टीम ने मनी ट्रेल और जिन नंबरों से फैक्ट्री मालिकों को कॉल किया गया था उन नंबरों की डिटेल निकाल कर उनका विश्लेषण किया. जिससे प्राप्त जानकारी के आधार पर पुलिस गाजियाबाद के साहिबाबाद पहुंची और वहां से शाह हसन नकवी नाम के शख्स को हिरासत में लिया.


आपस मे बात करने के लिए करते थे वाट्सएप कॉल का इस्तेमाल


पुलिस के मुताबिक पूछताछ में शाह हसन ने बताया कि इस पूरी साजिश में उसके साथ चार और लोग शामिल है जिसमें अशरफ, वेद प्रकाश तोमर, रवि चौधरी और विक्रम सक्सेना शामिल है. जांच में पुलिस को पता चला कि आपस में बातचीत करने के लिए आरोपी वाट्सएप कॉल किया करते थे. जिसकी जानकारी पर पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर आरोपियों के वाट्सएप का आईपी एड्रेस पता कर अलग-अलग इलाकों से चारों आरोपियों को दबोच लिया. ये सभी ठगी में अपने अलग-अलग रोल को निभाते थे.


मास्टरमाईंड था DSIIDC के कामकाज से अच्छी तरह से वाकिफ


आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि आरोपी विक्रम सक्सेना इस गिरोह का सरगना है और ये आपराधिक साजिश के तहत इस ठगी को अंजाम दे रहे थे. आरोपी विक्रम DSIIDC के कामकाज से अच्छी तरह से वाकिफ था और लोगों को धोखा देने के लिए ऑनलाइन उपलब्ध जानकारियों के बारे में भी उसे सारी जानकारी थी. ये ठगी के मामले में पहले भी जेल जा चुका है. ठग फैक्ट्री मालिकों को फोन कर खुद को DSIIDC अधिकारी बताते थे और फैक्ट्री मालिकों को ब्याज या टैक्स के बिना लंबित जमीन किराए को जमा करने के लिए कहते थे फिर ऑनलाइन माध्यम से फर्जी खातों में भुगतान लेते थे. 


सभी आरोपियों का था अलग-अलग काम


रवि धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने मे सक्षम है और वह फैक्ट्री मालिकों को फोन करता था. शाह हसन ने उन खातों में ठगी हुई रकम जमा करने के लिए खातों की व्यवस्था करता था. मोहम्मद सकलेन नकवी और वेद प्रकाश भी फैक्ट्री मालिकों से संपर्क करते थे और दोनों 20 प्रतिशत हिस्सा लेते थे. वे ठगी के शिकार फैक्ट्री मालिकों से प्राप्त भुगतान के लिए रसीद भी देते थे. आरोपियों ने मिल कर फैक्ट्री मालिकों से 25 लाख रुपये से ज्यादा की ठगी को अब तक अंजाम दिया है. इस मामले में पुलिस सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की जांच में जुट गई है.


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