Delhi News: दिल्ली का टैक्सी एंड टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन 12 जनवरी को आम आदमी पार्टी (APP) के राष्ट्रीय कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करेगा. एसोसिएशन का कहना है कि दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित आप कार्यालय के बाहर इस प्रदर्शन का मकसद उनकी डीजल टैक्सियों-बसों को चलने से रोक लगाने के निर्णय के खिलाफ विरोध जाहिर करना है. उनका आरोप है कि दिल्ली सरकार दमनकारी नीतियों और प्रदूषण की आड़ में टैक्सी बस वालों को बेरोजगार करने की साजिश रच रही है. ट्रांसपोर्टर्स मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के खिलाफ एकजुट होकर अपना विरोध प्रदर्शित करेंगे.
सरकार ने तीसरी बार लगाई रोक
एसोसिएशन का कहना है कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने ग्रेप -3 स्टेज लागू किया है, जबकि दिन के वक्त दिल्ली का मौसम भी ठीक है. इसके बावजूद दिल्ली सरकार ने दिल्ली में डीजल की यूरो 4 की सारी प्राइवेट कारों/टैक्सियों और टेम्पो ट्रेवलर को दिल्ली एनसीआर में बंद करने का तीसरी बार फरमान जारी कर दिया.
प्रदूषण स्तर में सुधार के बाद भी प्रतिबंध
दिल्ली टैक्सी एंड टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने ग्रेप 3 लागू होने करने का फैसला दिल्ली सरकार पर छोड़ दिया था, लेकिन पिछली बार भी दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रदूषण में सुधार होने और AQI की मात्रा कम होने पर यूरो 2 डीजल के हल्के मालवाहक ट्रक और बड़े ट्रकों की एंट्री भी दिल्ली में खोल दी थी, लेकिन उनके यूरो 4 डीजल की टैक्सियों और टेम्पो ट्रैवेलर को बंद रखा था.
वाहन निर्माताओं से सांठगांठ का आरोप
संजय सम्राट ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह गाड़ी बनाने वाली कंपनी से सांठगांठ कर हमारी गाड़ी जो पॉल्यूशन के मापदंडों पर सही उतरती है, उसे भी कबाड़ में भेज नई गाड़ी खरीदने पर मजबूर कर रही है। अभी तक तो ये सिर्फ दिल्ली में ऐसा करते आ रहे हैं अब इनकी सरकार पंजाब में भी बन गयी है जिसको लेकर वहाँ चल रही डीजल गाड़ी के मालिक भी अब सहमें हुए हैं। ये सरकार दिल्ली में रोजगार तो दे नही रही है उल्टा जो किसी तरह गाड़ी चलाकर अपना और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं उसे भी सड़क पर लाने की कोशिश में जुट गई है।
ट्रक वालों से डरती है दिल्ली सरकार
इस बार भी 10 जनवरी को तीसरी बार उन्होंने गरीब टैक्सी वालो और टेम्पो ट्रैवेलर वालो के साथ दोहरा रवैया अपना कर यूरो 4 डीजल टैक्सी और टेम्पो ट्रेवलर को बंद करने का आदेश जारी किया है, जबकि डीजल के यूरो 2 हल्के मालवाहक, छोटे ट्रक और बड़े ट्रक दिल्ली एनसीआर में सरेआम चल रहें हैं जो की सरासर गलत है. इन ट्रकों की संख्या हजारों में होती हें जो रात भर दिल्ली में आते हैं या दिल्ली के अंदर से होकर गुजरते हैं. उनका आरोप है कि दिल्ली सरकार ट्रक वालों से डरती है, इसलिए उन्हें बंद नहीं करती.
टैक्सी वालों को बेरोजगार करने की साजिश
ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन ये प्रदर्शन इसलिए भी कर रहा है कि भविष्य में दिल्ली सरकार डीजल यूरो 4 टैक्सी-टेम्पो ट्रेवलर को बंद न करे और अगर ऐसा किया जाता है तो उन्हें उनकी गाड़ियों को रोकने का मुआवजा मिले. ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार ने जिस तरह दिल्ली के टैक्सी वालों और ट्रांसपोर्टर्स की डीजल की गाड़ियां बंद करने की साजिश करके उन्हें बर्बाद करने की साजिश रची है उससे साबित होता है कि इनकी इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कम्पनियों से मिलीभगत है.
दिल्ली में हजारों यूरो 2 डीजल बसें फैला रही प्रदूषण
एसोसिएशन के अध्यक्ष सम्राट का कहना है कि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के इनफोर्समेंट विभाग में सारी इनोवा गाड़ियां यूरो 4 डीजल की हैं, दिल्ली पुलिस की सिक्योरिटी में जो गाड़ियां मंत्रियो की सिक्योरिटी में लगी हैं वे भी सारी यूरो 4 डीजल की हैं और तो और दिल्ली पुलिस की सारी पीसीआर वैन यूरो 4 डीजल की हैं. पूरी दिल्ली में हजारों यूरो 2 डीजल बसें चलती हैं. ये सब गाड़ियां प्रदूषण फैलाती हैं लेकिन दिल्ली सरकार को सिर्फ गरीब टैक्सी वाले और 4 टायर वाली डीजल की गाड़ियां नजर आ रही हैं.
ट्रांसपोर्टर्स को उठाना पड़ रहा आर्थिक नुकसान
संजय सम्राट ने बताया कि वो हर साल दिल्ली के परिवहन विभाग से प्रदूषण सर्टिफिकेट लेते हैं, जिससे साबित होता है कि उनकी गाड़ियां प्रदूषण नहीं फैलातीं. हर 2 वर्ष पर डीजल गाड़ियों की फिटनेस होती है, जिसमें प्रदूषण सर्टिफिकेट के हर साल 120 रुपये और कुछ गाड़ियों के हर 3 महीने में 120 रुपये दिए जाते हैं. इसमें भी अरबों रुपये का घोटाला हो सकता है, क्योंकि इस सर्टिफिकेट की दिल्ली सरकार अब कोई मान्यता नहीं दे रही है और इसलिए डीजल की यूरो 4 गाड़ियों को प्रदूषण फैलाने वाली बता कर बंद कर रही है. उनका कहना है कि ट्रांसपोर्टर्स ने बहुत सारी गाड़ियों की बुकिंग कैंसिल की है, जिससे पर्यटकों में असंतोष है, और ट्रांसपोर्टर्स को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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