Delhi News: जेएनयू शरजील इमाम ने (Sharjeel Imam) 2020 में हुए दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई छह हफ्तों के लिए टालने का शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया. उसने कहा कि वह सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत दिए जाने से इनकार करते हुए उस पर की गयी अदालत की टिप्पणियों के बाद और कानूनी सलाह ले रहा है.


'सुने बगैर कुछ टिप्पणियां की गई'
छात्र शरजील इमाम ने अपनी स्थगन याचिका में कहा कि अदालत ने उसके मामले को सुने बगैर कुछ टिप्पणियां की है जिसने उसे मौजूदा अपील पर सुनवाई किए जाने से पहले और कानूनी सलाह लेने तथा कानूनी उपचार की संभावना तलाशने के लिए बाध्य किया है. इमाम पर उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज है. इन दंगों में 53 लोगों की मौत हो गयी थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे. नागरिकता (संशोधन) कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़की थी.


न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने इमाम को जमानत देने से इनकार करते हुए निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली उसकी अपील पर सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तारीख तय की है. पीठ ने अर्जी में दी गयी दलीलों के संबंध में नाखुशी जताई. उच्च न्यायालय ने कहा कि यह कहना कि आप एक अन्य मामले में कानूनी सलाह ले रहे हैं यह कोई आधार नहीं हो सकता. इस तरीके से यह नहीं किया जा सकता. आप सीधे सुनवाई स्थगित करने के लिए कह सकते हैं और हम विचार कर सकते हैं लेकिन कानूनी दलीलें और फिर हमें मामले पर सुनवाई स्थगित करने के लिए मत कहिए.


'इमाम यकीनन साजिश का मुखिया था'
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता (इमाम) के वकील के विशेष अनुरोध पर मामले को सुनवाई के लिए छह हफ्ते बाद 16 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध करें. अदालत ने खालिद सैफी तथा मरीन हैदर समेत मामले में अन्य सह-आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर भी सुनवाई के लिए 18 नवंबर की तारीख तय की.इसी के साथ अदालत ने 18 अक्टूबर को इस मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि इमाम यकीनन साजिश का मुखिया था और सभी सह-आरोपियों के बीच समानता के तार जुड़े हैं.


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