Delhi News: तिहाड़ के कैदी ने की जज से शिकायत, बोला- 'जेल का खाना ऐसा जो जानवर भी ना खाएं'
Tihar Jail: कैदी किसी तरह छिपाकर जेल से लाई रोटियों को कोर्ट रूम ले गया. कैदी ने पेशी शुरू होने से पहले जज से उसकी बात सुनने की अपील की, जिसे उन्हेंने मंजूर कर लिया
Delhi News: देश की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में खराब (Food) खाना परोसने का मामला सामने आया है. दरअसल मकोका के मामले में बंद एक कैदी ने तीस हजारी कोर्ट (Tis Hazari Court) में एडिशनल सेशन जज विशाल सिंह के सामने भरी कोर्ट में तिहाड़ जेल के खाने की पोल खोल दी. कैदी अपने साथ छिपाकर जेल में बनी रोटियां तक ले आया, जिसे उसने जज को दिखा दी. कैदी ने कहा कि यह रोटियां इतनी सख्त और घटिया आटे की बनी हुई हैं कि जानवर भी ना खाएं.
एएसजे ने लॉकअप का विजिट किया
कैदी ने आगे कहा कि यही हाल यहां लॉकअप में मिलने वाले खाने का है. इस पर एएसजे ने लॉकअप का विजिट किया तो यहां भी खाने की क्वॉलिटी घटिया थी. नाराज एएसजे ने तिहाड़ जेल प्रशासन को आदेश दिए कि कैदियों को मिलने वाले खाने की क्वॉलिटी को बेहतर किया जाए. इस तरह से एक कैदी की सतर्कता की वजह से जेल का खाना सुधरने वाला है.
कैदी को एडिशनल जज विशाल सिंह की कोर्ट में पेश किया गया
एनबीटी की खबर के मुताबिक 20 मई को मकोका मामले में जेल में बंद एक कैदी को तीस हजारी कोर्ट के लॉकअप में लाया गया था. यहां से कैदी को एडिशनल सेशन जज विशाल सिंह की कोर्ट में पेश किया गया. कैदी किसी तरह छिपाकर जेल से लाई रोटियों को कोर्ट रूम ले गया. कैदी ने पेशी शुरू होने से पहले जज से उसकी बात सुनने की अपील की, जिसे उन्हेंने मंजूर कर लिया. कैदी ने भरी कोर्ट में तिहाड़ जेल में बनी रोटियां दिखाईं, जो बेहद सख्त थीं, ठीक से पकी तक नहीं थीं और घटिया आटे से बनी थीं.
कैदी ने कोर्ट में आगे कहा कि इन रोटियों के अलावा जज साहब लॉकअप में जो कैदी बंद हैं. वहां भी जाकर एक बार देख लीजिए. दाल और सब्जियां भी बेहद खराब क्वॉलिटी की हैं. एएसजे विशाल सिंह ने स्टाफ के साथ लॉकअप का विजिट किया तो वहां देखा दाल और सब्जी में बस पानी ही पानी था. सब्जी नाम मात्र की थी.
कैदियों के लिए पीने का पानी नहीं
एएसजे विशाल सिंह को बताया गया कि कैदियों को लॉकअप में गर्मी में पीने को पर्याप्त पानी तक नहीं दिया जाता. जेल वैन से लाते वक्त भी बीच रास्ते में उन्हें पीने को पानी नहीं दिया जाता. अगर किसी कैदी की तबीयत खराब हो जाए तो कोई परवाह नहीं करता. खाने-पीने के मामले में जानवरों से भी बदतर सलूक किया जाता है. जैसी दाल-रोटी कैदियों को दी जाती है, वैसा खाना तो जानवर भी शायद ना खाएं, लेकिन मजबूरी में उन्हें खाना पड़ता है.
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