Shehla Rashid News: कौन हैं शेहला राशिद? जिनके खिलाफ मुकदमा चलाने की दिल्ली के उपराज्यपाल ने दी इजाजत
Shehla Rashid Sedition Case: शेहला राशिद की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. भारतीय सेना को लेकर कथित विवादित ट्वीट के मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलेगा. इसकी इजाजत दिल्ली के उपराज्यपाल ने दे दी है.
Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भारतीय सेना को लेकर कथित विवादित ट्वीट करने के मामले में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की पूर्व नेता शेहला राशिद शोरा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है. अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी. उपराज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार, यह अनुमति शोरा के खिलाफ 2019 में दर्ज एक प्राथमिकी से संबंधित है. अलख आलोक श्रीवास्तव की शिकायत पर नयी दिल्ली में विशेष प्रकोष्ठ थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153A के तहत शोरा के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था.
कौन हैं शेहला राशिद?
बता दें कि शेहला राशिद जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं और अखिल भारतीय छात्र संघ (आईसा) की सदस्य भी रह चुकी हैं. इसके अलावा वह एक मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं. कश्मीर में पैदा हुईं शेहला राशिद का नाम उस समय प्रमुखता से उभरा जब उन्होंने फरवरी 2016 में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए जेएनयू के छात्र कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अन्य की रिहाई को लेकर आंदोलन करने वाले एक छात्र संगठन का नेतृत्व किया. कश्मीर के वर्तमान हालातों और मानवाधिकारों को लेकर भी शेहला अपनी आवाज उठाती रहती हैं.
शेहला राशिद बीजेपी सरकार और आरएसएस की विचारधारा का विरोध करती रही हैं. शेहला ने एनआईटी श्रीनगर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. जेएनयू से निकलने के बाद के दिनों में उन्होंने जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट यानी जेकेपीएम नामक राजनीतिक पार्टी का दामन थाम लिया. इस पार्टी से शेहला ने चुनाव भी लड़ा लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली.
शेहला राशिद पर क्या हैं आरोप?
शेहला राशिद पर अपने ट्वीट के माध्यम से विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने और सौहार्द बिगाड़ने वाले कार्यों में शामिल होने का आरोप है. उपराज्यपाल के कार्यालय ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव दिल्ली पुलिस द्वारा पेश किया गया था और यह दिल्ली सरकार के गृह विभाग द्वारा समर्थित था. शोरा के 18 अगस्त, 2019 के ट्वीट में सेना पर कश्मीर में घरों में घुसकर स्थानीय लोगों को ‘‘प्रताड़ित’’ करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि सेना ने इन आरोपों को आधारहीन बताते हुए इन्हें खारिज कर दिया था.
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