(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Delhi News: होटल और रेस्तरां से जुड़े कारोबारी दिल्ली सरकार के पाबंदी से दिखे नाखुश, कारोबार को लेकर कही यह बातें
दिल्ली सरकार के नए साल के जश्न पर पाबंदी से होटल और रेस्तरां से जुड़े कारोबारियों को निराशा हुई. इस पाबंदी से क्रिसमस पर 50 फ़ीसदी बुकिंग जबकि नए साल पर सभी बुकिंग को रद्द करना पड़ा.
Delhi Hotel and Restaurant: दिल्ली में कोरोना और ओमिक्रोन के प्रभावी रोकथाम के लिए दिल्ली सर्कार ने क्रिसमस और नए साल पर पाबन्दी लगा दी. इस पाबन्दी के बाद दिल्ली के होटल और रेस्तरां के कारोबार से जुड़े लोगों को काफी निराशा हुई है. पिछले कई महीनों से बंद के कारण, नए साल और क्रिसमस के मौके पर इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को ही घाटे को कम करने की उम्मीद लगाये बैठे थे. होटल और रेस्तरां के करोबार के कमाई के लिहाज से यह पीक सीजन होता है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, पूरे दिल्ली में करीब 600 क्लब और रेस्तरां के पास शराब बेचने का वैध लाइसेंस है. इन सभी में निजी पार्टियों के अलावा, नए साल की जश्न को लेकर पार्टी और दूसरे आयोजनों को लेकर बुकिंग की गयी थी. दिल्ली सरकार के इस पाबन्दी के इनको करोड़ो रूपये का घाटा हुआ है. होटल और रेस्तरां के कारोबार से पूरे साल का लगभग 20 फ़ीसदी राजस्व इसी दिसंबर महीने और नए साल के मौके पर होता है.
कोरोना और ओमिक्रोन को बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए दिल्ली सर्कार के इस पाबंदी, होटल और रेस्तरां उद्योग के लिए एक बुरे सपने का काम किया है. इस पाबन्दी से सबसे ज्यादा नाईटक्लब और बार प्रभावित हुए हैं. मूनशिने फ़ूड वेंचर के मालिक विशाल आनंद ने इसको लेकर कहा कि क्रिसमस पर 50 फ़ीसदी बुकिंग रद्द की गयी थी. जबकि नए साल की सभी बुकिंग को इस बार नए साल के मौके पर रद्द करना पड़ा. उन्होंने आगे कहा कि इस कारोबार से जुड़े लोग हमेशा साल के आखरी हफ्ते को बिज़नेस के लिए एक अच्छे मौके की तरह देखते हैं.
इस पाबंदी से दिल्ली-एनसीआर में विशेष आयोजनों पर हजारों नौकरियों पैदा होती थीं. होटल, रेस्तरां, बार, नाईट क्लब में काम करने वाले अधिकांश लोग जैसे एंकर, डीजे, बारटेंडर, परफॉर्म करने वाले कलाकारों या इस कारोबार से जुड़े दूसरे लोग अपने होने वाली अनुमानित कमी खो चुके हैं. एक बार मालिक ने पाबंदी पर बात करते हुए बताया कि, "इससे जुड़े लोगों ने ज्यादा से ज्यादा फायेदा कमाने की उम्मीद की थी, इस उम्मीद में उन्होंने मोटी रकम खर्च करके अपने लाइसेंस रीन्यू करवाया था."
नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया और फर्स्ट फिदेल रेस्तरां के मालिक प्रियांक सुखीजा का बयान सबसे तर्कसंगत लगता है. उन्होंने दिल्ली सरकार के पाबन्दी के फैसले पर कहा कि, "चूंकि दुकानें, सार्वजनिक परिवहन, बाजार, ऑफिस और दूसरी गतिविधियाँ दिन में होती हैं, इसलिए दिन में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है. इस आदेश के जरिये सिर्फ बार और रेस्तरां ही को टारगेट किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि, सरकार बार और रेस्तरां को भी खोलने की इजाजत देनी चाहिए क्यों की अधिकांश आउटलेट्स कोविड नियमों का सख्ती से पालन करते हैं." हालांकि कुछ लोगों ने सरकार के बंद के फैसले की सराहना भी की है. एक होटल कारोबारी जिन्होंने लाइव म्यूजिक का आयोजन किया था, उन्होंने कहा उन्हें सरकार के इस फैसले से कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा. भले ही यह उपाय बेहद कठोर हैं, लेकिन पूर्ण लॉकडाउन और नौकरी छूटने के मुकाबले में यह एक स्वागत योग्य फैसला है.
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