Delhi News: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली के हौज खास (Hauz Khas) इलाके में ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution In Delhi) फैलाने वाले कुछ रेस्तरां और पब के संबंध में तथ्यात्मक स्थिति की जांच करने और उपचारात्मक कार्रवाई करने के लिए एक समिति का गठन किया है. एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण को नुकसान के लिए लगाया गया जुर्माना और संबंधित अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई ‘‘अपर्याप्त’’ है. एनजीटी (NGT) ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद ये फैसला लिया है. यचिका में दावा किया गया है कि हौज खास क्षेत्र में कुछ प्रतिष्ठान ‘‘असहनीय ध्वनि प्रदूषण’’ (Delhi Pollution) पैदा कर रहे हैं.


एनजीटी में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि, ‘‘पूरा हौज खास ग्रामीण क्षेत्र, दिल्ली शहर में सबसे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले स्थान में से एक के रूप में उभरा है.’’ याचिकाकर्ता का दावा है कि, ‘‘शिशुओं और वरिष्ठ नागरिकों सहित क्षेत्र के निवासियों को ध्वनि प्रदूषण के कारण होने वाले विभिन्न स्वास्थ्य खतरों का जोखिम है और उन्हें प्रदूषण मुक्त वातावरण, शांति से रहने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित किया गया है.’’


SDM की कार्रवाई पर्याप्त नहीं


एनजीटी के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि अधिकरण ने अप्रैल में संबंधित अधिकारियों से इस मामले में जवाब मांगा था. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और हौज खास के सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा दाखिल की गई कार्रवाई रिपोर्ट पर ध्यान देते हुए, पीठ ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के लिए कई रेस्तरां पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. हालांकि, पीठ ने कहा कि जुर्माने की राशि और किए गए उपचारात्मक उपाय कथित पर्यावरण प्रदूषण के स्तर और स्थानीय निवासियों को हुई परेशानियों की तुलना में ‘‘अपर्याप्त’’ प्रतीत होते हैं.


ज्वाइंट कमेटी गठित करने का लिया फैसला


एनजीटी की पीठ ने कहा है कि, ‘‘हम इसे उचित मानते हैं कि तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करने और उचित उपचारात्मक कार्रवाई करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाए. तदनुसार, हम एक संयुक्त समिति का गठन करते हैं जिसमें एसडीएम (हौज खास) और डीपीसीसी और दिल्ली नगर निगम के प्रतिनिधि शामिल होंगे.’’ अधिकरण ने समिति को दो सप्ताह के भीतर बैठक करने, क्षेत्र का दौरा करने और आवेदक की शिकायतों पर गौर करने समेत अन्य आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया. पीठ ने समिति को दो महीने के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा. मामले की अगली सुनवाई छह नवंबर तय की गई.


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