Dog Bite cases increase in Delhi: दिल्ली (Delhi) में दिन बा दिन लावारिस कुत्तों (Stray Dogs) के काटने का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जहां राजधानी में बीते तीन सालों में कुत्तों के काटने  के मामले में करीब तीन गुना इजाफा हुआ है. हालंकि ऐसे कुत्तों की संख्या को काबू में करने के लिए, दो दशकों से नसबंदी अभियान (Dogs Sterilization Campaign) चलाया जा रहा है, फिर भी इसका असर नहीं दिख रहा है. दिल्ली के तीन म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (Municipal Corporation) के कुत्तों के काटने (Dog Bites) का आंकड़ा देखें तो पता चलता है कि, साल 2021 में हर रोज पूरी दिल्ली से कुत्तों के काटने का 90 मामला मामला सामने आया. 


दिल्ली में पिछले तीन साल में कुत्तों के काटने का यह है आंकड़ा
कुत्तों के काटने के मामले राजधानी के सघन आबादी और कच्ची कालोनियों में कुत्तों के काटने के मामले सबसे अधिक हैं. 17 दिसंबर 2021 को पश्चिमी दिल्ली (West Delhi) के मोती नगर (Moti Nagar) इलाके में कुत्तों के झुंड ने 3 साल की बच्ची को नोच कर मार डाला था. स्वास्थ्य सुविधाओं की देखभाल (Health Care Facilities) करने वाली संस्था के ऑफिसियल रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के तीन म्युनिसिपल कॉर्पोरेशनमें 31913 लोगों को कुत्तों के काटने के बाद इलाज किया गया. जहां पूर्वी एमसीडी (Eastern MCD) में सबसे अधिक 16007 मामले, दक्षिण एमसीडी (South MCD) में 11119 मामले और उत्तरी एमसीडी (North MCD) में 4787 कुत्ते के काटने के बाद घायल लोगों का इलाज किया गया. 


हालंकि कुत्तों के काटने के वास्तविक आंकड़े अधिक हो सकते हैं, क्योंकि ऐसे बहुत सारे लोगों का इलाज निजी क्लीनिक या अस्पतालों में किया गया, ऐसे लोगों को इन आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है. उत्तर निगम (North Corporation) के जरिये चलाये जा रहे महर्षि वाल्मीकि संक्रामक रोग (Maharishi Valmiki Infectious Disease) अस्पताल में साल 2017 से कम से कम 38 रेबीज से संबंधित मौत का मामला सामने आया है. स्वास्थ्य महानिदेशालय (Directorate General of Health) की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में कुत्तों के काटने के 28 हजार 52 मामले सामने आये, जबकि लॉकडाउन (Lockdown) में इस संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. साल 2020 में यह संख्या 39 हजार तक पहुंच गयी. वहीं साल 2021 में यह आंकड़ा पूरी दिल्ली को मिला कर 89 हजार के पार पहुंच गया. 


 


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दक्षिणी दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के महरौली (Mehrauli) इलाके में साल 2021 में कुतों के काटने के 3685 मामले सामने आये हैं, जबकि साल 2012 से से अबतक यहां पर 15 हजार 816 मामले सामने आये हैं. इसी तरह से फतेहपुरी बेरी पालीक्लिनिक (Fatehpuri Berry Polyclinic) पर 2012 से 2021 तक 12 हजार 269 और तिलकनगर नगर कालोनी (Tilaknagar Nagar Colony) के अस्पताल में लगभग दस हजार मामले सामने आये हैं.


नसबंदी पर खर्च हो चुके हैं 35 करोड़, अलग-अलग कॉर्पोरेशन के जरिये खर्च किये धनराशी के यह है आंकड़ा
लावारिस कुत्तों के संबंध में दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी () के विधायक प्रकाश जारवाल ने एक सवाल पूछा, जिसके जवाब में पता चला कि दिल्ली में बीते दस सालों में नसबंदी अभियान पर 35 करोड़ रूपये से ज्यादा खर्च किया गया, जबकि कुत्तों के काटने की संख्याओं में इजाफा हुआ है. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुत्तों नसबंदी और रेबीज टीकाकरण पर उत्तरी दिल्ली कॉर्पोरेशन और दक्षिणी दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने 35 करोड़ से अधिक की धनराशी खर्च की है. 


दिल्ली विधानसभा के जरिये दी गयी जानकारी के मुताबिक, उत्तरी दिल्ली कॉर्पोरेशन ने अप्रैल 2012 से अक्टूबर 2021 के बीच नसबंदी और रेबीज टीकाकरण पर 10.58 करोड़ रूपये खर्च किये गए हैं. इस दौरान 1.45 लाख कुत्तों की नसबंदी की गई है. जबकि दक्षिणी दिल्ली कॉर्पोरेशन इन्हीं उद्देश्यों के लिए, 25.87 करोड़ रूपये खर्च किये जबकि 3.06 लाख कुत्तों की नसबंदी की गई. पूर्वी दिल्ली कॉर्पोरेशन ने साल 2012 में 17 लाख जबकि साल 2013 में 48 लाख रूपये इसके लिए खर्च किये. फिर भी दिल्ली में कुत्तों के काटने से स्थिति भयावह होती जा रही है. 


दक्षिणी दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने चार जोन में मौजूद सभी कुत्तों की नसबंदी करेगा, इसके लिए उनसे तीन साल का लक्ष्य रखा है. वहीं इस साल यानि साल 2022 में विभाग ने 45 हजार कुत्तों की नसबंदी करने का लक्ष्य रखा है. 


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