Supreme Court ने 24 हफ्ते तक गर्भपात कराने की दी इजाजत, जानिए- किन शर्तों पर होगा अबॉर्शन
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने 24 हफ्ते तक गर्भपात कराने की इजाजत दे दी है. इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले की याचिका पर सुनवाई करते हुए मंजूरी देने से इनकार कर दिया था.
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 24 हफ्ते की गर्भवती एक लड़की को सुरक्षित गर्भपात (Abortion) कराने की इजाजत दे दी है. कोर्ट ने कहा कि अगर इस गर्भपात से महिला को किसी तरह का खतरा नहीं है तो गर्भपात कराया जाएगा. बता दें कि MTP एक्ट के तहत 20 हफ्ते तक ही गर्भपात की अनुमति होती है. इसी आधार पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने याचिका खारिज कर दी थी. महिला सहमति से बनाए गए संबंध के चलते गर्भवती हो गई थी.
इन शर्तों पर होगा गर्भपात
कोर्ट ने कहा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रग्नेंसी एक्ट में बदलाव किया गया है. केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2021 में कानून में बदलाव करते हुए गर्भपात के कुछ शर्तों के साथ गर्भपात का 20 हफ्तों से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दी थी. इस बदलाव में रेप विक्टिम से लेकर शादी का स्टेटस बदले जाने पर प्रेग्नेंसी टर्मिनेशन का समय 24 हफ्ते कर दिया गया था. रेप या सेक्सुअल असॉल्ट की विक्टिम को या किसी नजदीकी रिश्तेदार के कारण महिला विक्टिमाइज हो. किसी नाबालिक लड़की की प्रेग्नेंसी के मामले में टर्मिनेशन 24 हफ्ते तक है. अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है और वह उसी समय विधवा हो जाती है या उसका तलाक हो जाता है जिससे उसका मेरिटल स्टेटस बदल जाता है तो 24 हफ्ते तक गर्भपात हो सकता है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 हफ्ते में गर्भपात की अनुमति नहीं दी
बता दें कि एक अविवाहित महिला ने अपने पेट में पल रहे 24 सप्ताह के भ्रूण को गिराने के लिए सुप्रीम कोर्ट गर्भपात की इजाजत मांगी थी. अदालत ने महिला की याचिका पर विचार करने की सहमति दे दी थी. इससे पहले 16 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में अविवाहित महिला को 23 सप्ताह के भ्रूण को गर्भपात करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. हाईकोर्ट का मानना था कि गर्भपात कानून के तहत सहमति से संबंध बनाने की दिशा में 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिराने की इजाजत नहीं है.
याचिकाकर्ता महिला ने दी ये दलील
आपको बता दें कि 25 वर्षीय याचिकाकर्ता महिला 18 जुलाई को 24 सप्ताह की गर्भवती हो गई थी. उसने कोर्ट में बताया की वह 18 जुलाई को गर्भधारण के 24 हफ्ते पूरे कर चुकी है. साथ ही उसने कोर्ट को ये भी बताया कि उसके पार्टनर ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया था, जबकि उन्होंने सहमति से संबंध बनाए थे. महिला ने दलील दी कि अगर शादी के बिना बच्चे को जन्म दिया जाता है तो उसे मानसिक पीड़ा होगी और इसके साथ-साथ सामाजिक कलंक भी होगा.
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