Delhi Online Fraud Case: आईएएस अधिकारी से ऑनलाइन ठगी के आरोपी को कोर्ट ने नहीं दी जमानत, जानें- क्या रही वजह?
Delhi Crime News: ऑनलाइन ठगी के आरोपी को कोलकाता में हिरासत में लिया गया और फिर उसे दिल्ली में जांच से जुड़ने के लिए ट्रांजिट जमानत दी गई, लेकिन आरोपी दिल्ली पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ.
Delhi IAS Online Fraud Case: दिल्ली की एक अदालत ने अस्पताल में समय बुक करने की कोशिश के दौरान एक आईएएस अधिकारी को ऑनलाइन ठगने के आरोपी 28 साल के व्यक्ति को अग्रिम जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. एडिशनल सेशन जज शैलेंद्र मलिक (Shailendra Malik) ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) के निवासी श्यामबाबू गिरि को राहत देने से इनकार कर दिया, जिस पर वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी से 33,400 रुपये ठगने का आरोप है. एडिशनल सेशन जज ने कहा, ‘‘असाधारण परिस्थिति में ही अग्रिम जमानत की विशेष राहत दी जा सकती है.’’
एडिशनल सेशन जज शैलेंद्र मलिक ने कहा कि जिस तौर-तरीके से यह अपराध किया गया, उसे अभी स्थापित किया जाना बाकी है और ऐसी स्थिति में ‘‘मुझे नहीं लगता कि गिरफ्तारी पूर्व जमानत का असाधारण मामला बनता है.’’ जज ने आगे कहा, ‘‘आवेदक/आरोपी जांच से जुड़ने के लिए तैयार है, इसे अग्रिम जमानत के लिए असाधारण आधार नहीं माना जा सकता है, खासकर इस तथ्य के आलोक में कि पश्चिम बंगाल का निवासी आरोपी साइबर अपराध कर रहा है और दिल्ली में लोगों पर असर डाल रहा है.’’
कई लोगों को 11 लाख रुपये का चूना लगा चुका था आरोपी
शिकायत के अनुसार आरोपी ने एक अस्पताल में बुकिंग कराने के इच्छुक शिकायतकर्ता को ठगा था. उनका (शिकायतकर्ता का) निजी सचिव अस्पताल के ऑनलाइन पोर्टल पर गया था और आरोप के मुताबिक 10 नवंबर, 2022 को लिंक संलग्न एक जाली संदेश इस बुकिंग के लिए व्हाट्सअप पर आया. जब निजी सचिव ने लिंक क्लिक किया, तब अधिकारी के खाते से 33,400 रुपये निकल गए. पुलिस के अनुसार इस संबंध में मामला दर्ज कराया गया और जांच के दौरान यह सामने आया है कि आठ से 10 नवंबर, 2022 के दौरान आरोप ने कई लोगों को 11 लाख रुपये का चूना लगाया था.
आरोपी ने इस आधार पर मांगी थी जमानत
आरोपी को कोलकाता में हिरासत में लिया गया और फिर उसे दिल्ली में जांच से जुड़ने के लिए ट्रांजिट जमानत दी गई, लेकिन आरोपी दिल्ली पुलिस के सामने पेश नहीं हुआ. इसके बाद एक अदालत ने उसके खिलाफ गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया. तब आरोपी ने यह कहते हुए अग्रिम जमानत की मांग की कि वह 28 साल का युवा है और जांच से जुड़ने के लिए तैयार है. उसने दावा किया कि जांच अधिकारी जांच करने में विफल रहा और बिना किसी स्वीकार्य वजह से उसे परेशान कर रहा है. अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए जमानत अर्जी का विरोध किया कि साजिश और अपराध के तौर-तरीके का पता लगाने के लिए हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है.
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