Delhi News: आज से संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है. सत्र के पहले दिन दिल्ली में सेवाओं पर विवादास्पद अध्यादेश (Delhi Ordinance) की जगह लेने वाले विधेयक को भी पेश किया जा सकता है. इस मसले पर करीब दो माह से आम आदमी पार्टी और केंद्र सरकार के बीच तनाव चरम पर है. यह मामला नए सिरे से सुप्रीम कोर्ट में भी विचारधीन है. इस बीच संसद में बिल पेश होने की संभावना और उसे पास होने से रोकने के लिए आप राज्यसभा सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने इस पर बहस के लिए स्पीकर को नोटिस थमा दिया है. 


आप सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा के स्पीकर से कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली सरकार पर नियंत्रण के लिए लाया गया अध्यादेश न केवल संघीय ढांचे को ध्वस्त करता है बल्कि जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के खिलाफ यह एक काला कानून है. सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ द्वारा दिल्ली में पुलिस, लोक व्यवसथा और भूमि मामलों को छोड़कर सभी शक्तियां निर्वचित सरकार को सौंपने का निर्णय दिया गया था. उसके बाद भी केंद्र सरकार द्वारा ऐसा अध्यादेश लाना न केवल निर्वाचित सकरार के अधिकारियों को कमजोर ता है बल्कि संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन भी है.  


अध्यादेश निर्वाचित सरकार के अधिकारों का हनन


​बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश 2023 के तहत केंद्र सरकार ने 19 मई को दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और विजिलेंस से जुड़े अधिकारों को लेकर एक अध्यादेश जारी किया था. उसके बाद से अध्यादेश के प्रावधानों के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा गठित नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी भी प्रभाव में है. अथॉरिटी में दिल्ली CM, मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव शामिल है. अथॉरिटी बहुमत से सेवा विभाग से संबंधित मसलों पर फैसला लेती है. अध्यादेश के इन प्रावधानों का शुरू से ही आम आदमी पार्टी विरोध करती आई है. सीएम अरविंद केजरीवाल का कहना है कि यह निर्वाचित सरकार के अधिकारों का हनन है. इस मुद्दे पर दिल्ली को लेकर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष भी एकजुट हो गया है. कांग्रेस ने 16 जुलाई को AAP को समर्थन देने की बात कही. वहीं केजरीवाल को बंगाल सीएम ममता बनर्जी, शरद पवार, केसीआर और उद्वव ठाकरे का साथ पहले ही मिल चुका है. 18 जुलाई को बेंगलुरु में 26 पार्टियों की विपक्षी एकता बैठक भी हुई थी.


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