Delhi Ordinance Row: अध्यादेश पर AAP के आरोपों से सहमत नहीं कई दलों के नेता, CPI ने दी ये नसीहत
Centre Ordinance On Delhi: सीपीआई नेता दीपांकर ने कहा कि आप इस मुद्दे को दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के साथ प्रतिद्वंद्विता के चश्मे से देख रही है.
Delhi News: दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण से संबंधित केंद्र के अध्यादेश के मुद्दे पर कथित उदासीनता को लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से कांग्रेस पर लगाए गए तीखे आरोपों से पटना में विपक्ष की बैठक में उपस्थित हुए नेता असहमत दिखे. दो दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित शुक्रवार की बैठक में अपने-अपने दलों का प्रतिनिधित्व करने वाले कम से कम पांच नेता अध्यादेश पर सीएम अरविंद केजरीवाल के आरोपों से नाखुशी जाहिर की.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव दीपांकर ने कहाएत्र कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के साथ प्रतिद्वंद्विता के चश्मे से देख रही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि आप की ओर से आधिकारिक बयान में यह कहना गलत है कि कांग्रेस ने बैठक में अध्यादेश का विरोध करने से इनकार कर दिया. दीपांकर ने कहा कि अध्यादेश की निंदा को लेकर सभी दल एकमत थे, लेकिन आप नेतृत्व को इस मुद्दे को व्यापक संदर्भ में रखना चाहिए. यह बीजेपी सरकार द्वारा संविधान और संघवाद के सिद्धांत पर हमलों के बारे में है, यही कारण है कि हम सभी ने अपने मतभेदों को भुला दिया और हाथ मिला लिया. मैं जम्मू-कश्मीर के हमारे मित्रों द्वारा दिखाई गई परिपक्वता की प्रशंसा करूंगा, जिन्होंने दुख के साथ याद किया कि आप ने प्रदेश का विशेष दर्जा समाप्त करने वाले विधेयक के पक्ष में संसद में मतदान किया था.
वामपंथी नेताओं ने जताई असहमति
वामपंथी नेता ने यह भी कहा कि उन्होंने आप प्रतिनिधिमंडल से बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन के लिए रुकने का अनुरोध किया था. विपक्ष की इस बैठक में आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आप सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा बैठक के तत्काल बाद पटना से दिल्ली रवाना हो गए. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने भी सहमति व्यक्त की कि बिना किसी अपवाद के सभी दलों ने अध्यादेश की आलोचना की थी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस भी उस अध्यादेश की आलोचना में हमारे साथ थी, जिसका उद्देश्य एक निर्वाचित सरकार से सत्ता छीनना है. पूरी संभावना है कि बैठक में मौजूद सभी दल अध्यादेश को बदलने वाले विधेयक के खिलाफ मतदान करेंगे. हो सकता है कि कांग्रेस इस आशय की सार्वजनिक घोषणा करने में अपना समय ले रही हो.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने भी व्यक्त किए. विपक्ष के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनके दल भारतीय जनता पार्टी को एकजुट होकर चुनौती देने का शुक्रवार को संकल्प लिया और वे अब अगले महीने शिमला में आगे के कदमों पर मंत्रणा करेंगे. दूसरी तरफए आप ने विपक्षी एकजुटता की इस पूरी कवायद पर यह कहकर एक तरह का प्रश्नचिह्न भी लगा दिया कि दिल्ली से संबंधित केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस के अपना रुख स्पष्ट करने तक वह उसकी मौजूदगी वाली किसी भी विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होगी.