Delhi News: आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा के सदस्य राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने सदन के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jafgdeep dhankhar) को दिल्ली अध्यादेश (Delhi Ordinance) को लेकर एक ​चिट्ठी लिखी है. उन्होंने राज्यसभा के सभापति को लिखी चिट्ठी में बताया है कि अध्यादेश चुनी हुई सरकार से उसका संवैधानिक अधिकार छीनता है. यह नाजायज, अनुचित और अस्वीकार्य है. साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के विपरीत है, इसलिए सदन में पेश नहीं किया जाना चाहिए.


आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा अध्यादेश के अवैध होने को लेकर तीन कारण गिनाए हैं. पहला केंद्र का अध्यादेश (Center Ordinance) सुप्रीम कोर्ट के के निर्णय के खिलाफ है. दूसरा ये अध्यादेश संविधान के अनुच्छेद 239AA की धज्जियां उड़ाता है. तीसरा ये अध्यादेश को लेकर एक केस सुप्रीम कोर्ट में अभी विचाराधीन है. इस मसले को संविधान पीठ को विचार के लिए सौंप दिया गया है. 



अधिकारियों पर नियंत्रण निर्वाचित सरकार का अधिकार


उन्होंने कहा कि 11 मई 2023 संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया था कि दिल्ली में कार्यरत अधिकारियों पर नियंत्रण लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का अधिकार है. शीर्ष अदालत के इस फैसले के ठीक आठ दिन बाद केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाकर इसे पलट देती है. अब इस अध्यादेश को कानूनी रूप देने के लिए राज्यसभा में पेश करने की कवायद केंद्र सरकार कर रही है. ताकि इसके कानूनी रूप दिया जा सके. 


अनुच्छेद 239AA को ध्वस्त करता है अध्यादेश


राघव चड्ढा का कहना है कि इसे सदन में पेश करना अनुचित होगा. ऐसा इसलिए कि बिना सुप्रीम के फैसले का आधार को बदले आप अध्यादेश नहीं ला सकते. यह अध्यादेश संविधान के अनुच्छेद 239एए को ध्वस्त करने के लिए लाया जा रहा है. यह संविधान की आत्मा के खिलाफ है. केंद्र सरकार द्वारा विधायी प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास राज्यसभा के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. चेयनमैन से अपील की है कि वो इस अध्यादेश को पेश होने से रोकें और केंद्र सरकार को आदेश दें कि इस प्रकार के अध्यादेश सदन में पेश न करें. 


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