Delhi: दिल्ली में 8 फीसदी महिला ड्राइवरों में से बस 1 प्रतिशत से हुई सड़क दुर्घटनाएं, परिवहन विभाग के आंकड़ों से हुआ खुलासा
दिल्ली में घातक रोड एक्सीडेंट के लिए जिम्मेदार ड्राइवरों में महिला ड्राइवरों का प्रतिशत महज 1 फीसदी है. ये जानकारी दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से मिली है
Delhi: राष्ट्रीय राजधानी में ड्राइविंग करने वालों में 8 प्रतिशत महिला ड्राइवर हैं, लेकिन वे शहर में केवल 1 प्रतिशत घातक दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं. दरअसल ये जानकारी दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से मिली है.
गौरतलब है कि दिल्ली में 2021 में कुल 4 हजार 720 दुर्घटनाएं हुईं. इन एक्सीडेंट्स में 1 हजार 239 लोगों की मौत हुई और 4 हजार 273 लोग घायल हुए. वहीं, परिवहन विभाग की प्रमुख एजेंसी रोड सेफ्टी ब्रांच द्वारा तैयार रिपोर्ट विश्लेषण के अनुसार, घायलों में 90 प्रतिशत पुरुष थे. वहीं रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों में 89 फीसदी पैदल चलने वाले, मोटरसाइकिल चालक और साइकिल सवार थे.
60 साल से ज्यादा की उम्र की महिलाएं हुई ज्यादा सड़क दुर्घटना की शिकार
रिपोर्ट में एक्सीडेंट की वजह से मृत्यु का सबसे बड़ा अनुपात 20 से 39 वर्ष के पुरुष व्यस्कों में मिला है. वहीं महिलाओं में, सड़क यातायात के दौरान हुई दुर्घटनाएं 60 वर्ष की आयु में सबसे ज्यादा पाई गई. वहीं डिटेल्ड रिपोर्ट में दुर्घटना-प्रवण हिस्सों का विश्लेषण भी शामिल है, इससे सरकार को कमजोर समूहों के डिजाइन और सुरक्षा के मुद्दों को देखने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट से दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने में मिलेगी मदद- कैलाश गहलोत
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा कि, “दुर्घटनाओं के डिटेल्ड एनालाइज के जरिए, हम रणनीतिक हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए हाई रिस्क वाली लोकेशन और एरिया की पहचान कर रहे हैं. ऐसा कर हजारों लोगों की जान बचाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि, पूर्व में किए गए अध्ययनों और सड़क के रीडिजाइन के प्रयासों ने साबित कर दिया है कि दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है और इस तरह की साक्ष्य-आधारित रिपोर्ट से हमें दुर्घटनाओं को कम करने के लिए अनुकूल कदम उठाने में मदद मिलेगी.
PWD और DDA जैसी एंजेंसियां रोड डिजाइनिंग और फॉल्टी डिजाइन को सुधारने के लिए काम करें
वहीं सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुख्य वैज्ञानिक एस वेलमुरुगन ने कहा “दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण ठोस इंजीनियरिंग उपायों की कमी है. पिछले कुछ वर्षों में, ट्रैफिक पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे और आरएलडीवी लगाने जैसे प्रवर्तन उपायों को तेज किया है. इन उपायों से स्थानीय स्तर पर कुछ राहत तो मिलती है लेकिन हो सकता है कि यह मौतों को कम करने में मदद न करें. पीडब्ल्यूडी, डीडीए और अन्य एजेंसियों को ब्लैक स्पॉट और मौजूदा सड़कों दोनों में रोड इंजीनियरिंग और दोषपूर्ण डिजाइन में सुधार के लिए जमीन पर काम करना चाहिए.
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