Delhi High Court: दिल्ली में एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए कि 58 वर्षीय मोती नाम की मादा हाथी को उसके "मालिक" ने फारुख अली नाम के एक व्यक्ति को 1.1 करोड़ रुपये में बेच दिया था. अब दिल्ली सरकार के वन और वन्यजीव डिपार्टमेंट ने इसपर जांच शुरू कर दी है और मामले में शामिल व्यक्ति को नोटिस जारी किया है. मोती (हाथी) उन छह हाथियों में से एक है, जिन्हें दिल्ली के वन विभाग ने 2019 में उसके मालिकों से बचाया था. ये मालिक जानवरों की उचित देखभाल नहीं करते थे.
फारुख अली को 1.1 करोड़ रुपये में बेचा
मामले के शिकायतकर्ता पारस त्यागी ने हाथी को बेचने वाले सभी दस्तावेज वन विभाग को सौंपे हैं. इसमें अब्दुल हसन का बेटा फारुख मोती का अभी मालिक है, जिसके पास मुख्य वन्यजीव वार्डन द्वारा जारी किया हुआ माइक्रोचिप है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 4 मई के दस्तावेज में कहा गया है कि फारुख ने हाथी को याकूब अली के बेटे फारुख अली को 1.1 करोड़ रुपये में बेच दिया.
मोती को यमुना नगर में भेजा गया
एक वन अधिकारी ने बताया कि मोती, वर्तमान में हरियाणा के यमुना नगर में बान संतौर में एक पुनर्वास केंद्र में है. मोती को यमुना नगर में भेजे जाने के बाद उसका नाम बदलकर डेज़ी कर रख दिया गया है. अधिकारी ने साथ ही यह भी कहा कि हाथी की बिक्री अवैध है और यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है.
मूल्यांकन करको कार्रवाई करेंगे- वन विभाग
वहीं मुख्य वन्यजीव वार्डन निशीथ सक्सेना ने कहा, "जहां मोती को रखा गया है वहां का एक वन्यजीव अधिकारी ने पिछले महीने दौरा किया और उसे अच्छी स्थिति में पाया. लेकिन हमें मोती को बेचने की शिकायत मिली है. हम बिक्री की पुष्टि कर रहे हैं और हमने लेनदेन में शामिल व्यक्तियों को नोटिस जारी किया है. यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत अवैध है. इसपर प्रतिक्रिया मिलने के बाद, हम स्थिति का मूल्यांकन करेंगे और उसके अनुसार कार्रवाई करेंगे."
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर, एक वन्यजीव पैनल ने 2016 में दिल्ली में छह हाथियों की जांच की. जांच के बाद पाया कि हाथियों को खराब जगह और स्वास्थ्य में रखा गया था. इसके बाद इन हाथियों को बचाकर उनमें से चार- चांदनी, गंगाराम, हीरागज और धोंमती को गुजरात और राजस्थान भेजा दिया गया था.
फारुख जो मोती का मूल मालिक है, इसी के कब्जे से मोती को 2019 में बचाया गया था. उसने हाथी को बेहतर सुविधाओं के साथ एक अलग स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. अदालत ने हाल ही में माती को बान संतौर में रहने का आदेश दिया.