Bio Decomposer: दिल्ली (Delhi) सरकार ने मंगलवार को राजधानी में पराली जलाने से रोकने के लिए कृषि क्षेत्रों में पूसा बायो-डीकंपोजर (Pusa Bio-Decomposer) का मुफ्त छिड़काव शुरू किया. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया पूसा बायो डीकंपोजर एक सूक्ष्मजैविक घोल है. यह धान की पराली को 15-20 दिनों में खाद में बदल देता है.
बारिश के कारण हुई देरी
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में बारिश के कारण घोल के छिड़काव में देरी हुई. इस साल राजधानी में 5,000 एकड़ बासमती और गैर-बासमती खेतों में घोल का छिड़काव किया जाएगा. पूसा बायो-डीकंपोजर का इस्तेमाल पिछले साल दिल्ली में 844 किसानों की 4,300 एकड़ जमीन पर किया गया था. वहीं 2020 में 1,935 एकड़ जमीन पर 310 किसानों ने इसका इस्तेमाल किया था. दिल्ली सरकार ने जैव-अपघटक की प्रभावशीलता के बारे में जागरूकता पैदा करने और अपने खेतों में समाधान का उपयोग करने के इच्छुक किसानों को पंजीकृत करने के लिए 21 टीमों का गठन किया है.
95 प्रतिशत प्रभावी
अधिकारियों के मुताबिक बायो डीकंपोजर के छिड़काव में महज 30 रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है. वहीं 2021 में दिल्ली में माइक्रोबियल समाधान के प्रभाव का पता लगाने के लिए किए गए एक तीसरे पक्ष के ऑडिट से पता चला कि यह 95 प्रतिशत प्रभावी है. इसके बाद केजरीवाल सरकार ने केंद्र से पड़ोसी राज्यों में इसे मुफ्त में वितरित करने का अनुरोध किया था.
प्रदूषण में होगी कमी
प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों के साथ पंजाब और हरियाणा में धान की पराली जलाना राष्ट्रीय राजधानी में अक्टूबर और नवंबर में वायु प्रदूषण के स्तर में खतरनाक वृद्धि का एक प्रमुख कारण है. गेहूं और सब्जियों की खेती से पहले फसल के अवशेषों को जल्दी से हटाने के लिए किसानों ने अपने खेतों में आग लगा दी. IARI के आंकड़ों के अनुसार पंजाब में पिछले साल 15 सितंबर से 30 नवंबर के बीच 71,304 खेत में आग लगाई गई थी. वहीं 2020 में इसी अवधि में 83,002 खेत में आग लगी थी.