Delhi News: दिल्ली के इस इलाके में होटल और गेस्ट हाउस पर मंडराया सील होने का खतरा, जानें क्या है वजह?
दिल्ली पहाड़गंज इलाके के होटलों और गेस्ट हाउस पर अब सील होने का खतरा मंडराने लगा है. करीब 600 होटल और गेस्ट हाउस बोरवेल के माध्यम से ग्राउंड वाटर खींचते हैं. जिससे भूजल स्तर नीचे चला गया है.
Delhi News: राजधानी दिल्ली का प्रसिद्ध इलाका पहाड़गंज जहां सैलानियों की भीड़ लगी रहती है, वहां स्थित सैकड़ों होटल और गेस्ट हाउस के मालिकों के माथे पर बल पड़े हुए हैं क्योंकि उनके होटलों और गेस्ट हाउस पर सीलिंग की तलवार लटकी हुई है. एक बार फिर से इस तलवार लटकने की वजह बना है उन होटलों और गेस्ट हाउस में लगा बोरवेल. दरअसल पहाड़गंज इलाके में तकरीबन 600 होटल और गेस्ट हाउस बोरवेल के माध्यम से ग्राउंड वाटर खींचते हैं. इस कारण पहाड़गंज इलाके का भूजल स्तर 30.16 मीटर तक नीचे चला गया है. जबकि पास ही स्थित मंदिर मार्ग पर भूजल स्तर 10 मीटर दर्ज किया गया है.
घटते भूजल स्तर को लेकर NGT हुआ सख्त
पहाड़गंज इलाके में भूजल स्तर के तेजी से नीचे गिरने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने संबंधित विभागों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दिया है. जिसके बाद संबंधित विभाग भी गेस्ट हाउस और होटल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की योजना बना रही है.
सहमति रद्द करने के लिए DPCC को लिखा पत्र
दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक पिछले महीने के अंत में 536 में से 296 गेस्ट हाउस और होटलों की जांच की गई थी. जिनमें से 246 में लगे बोरवेल अवैध पाए गए. अधिकारियों का कहना है कि जिन गेस्ट हाउस या होटल मालिकों का बोरवेल अवैध हैं, उसे सील किया जाएगा और ऐसे गेस्ट हाउस और होटल की सहमति रद्द कर ने के लिए DPCC को पत्र भी लिखा जाएगा. सहमति रद्द होने के बाद दिल्ली नगर निगम (MCD) सीलिंग की कार्रवाई कर सकती है.
बोरवेल रेगुलराइज करने का अधिकार सिर्फ डीएम को
जल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि गेस्ट हाउस/होटल में पानी सप्लाई के लिए गेस्ट हाउस/होटल मालिकों का बोरवेल वॉलंटरी डिस्क्लोजर स्कीम के तहत रजिस्टर्ड किया गया था. लेकिन इससे उनका बोरवेल वैध नहीं होता है. बोरवेल रेग्यूलराइज करने का अधिकार सिर्फ डीएम को है.
बोरवेल फीस के लिए जल बोर्ड को दिए जाते थे पैसे
वहीं, पहाड़गंज के गेस्ट हाउस ओनर्स का कहना है कि बोरवेल रजिस्टर करने के लिए जल बोर्ड ने ही वॉलंटरी डिस्क्लोजर स्कीम लॉन्च की थी. जिसके तहत ही सभी गेस्ट हाउस/होटल मालिकों ने अपना बोरवेल रजिस्टर कराया था. इसके लिए वे हर महीने जल बोर्ड को बोरवेल के लिए 1620 रुपये फीस भी दे रहे थे. लेकिन, NGT में मामला जाने के बाद जल बोर्ड ने उनसे पैसे लेने बंद कर दिए और इससे सम्बंधित रिकॉर्ड को भी हटा दिया.