Pitbull Dog Attack: बुधवार को यूपी की राजधानी लखनऊ में पालतू पिटबुल कुत्ते ने अपनी बुजुर्ग मालकिन पर हमला कर मार डाला. महिला की मौत के बाद खतरनाक ब्रीड वाले कुत्तों से दिल्ली में भी चिंता की स्थिति है. हालांकि, इन खतरनाक कुत्तों को पालने वालों के खिलाफ कार्रवाई का वेटनरी विभाग के पास कोई ठोस प्रावधान नहीं है. न तो ऐसे कुत्तों को पालने पर कोई रोक है और न ही इनके हमले से घायल होने पर मालिकों के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान है. कुत्तों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर सिर्फ 1,000 रुपये जुर्माना देकर बचा जा सकता है. एमसीडी के इलाकों में अब तक सिर्फ 3,000 से 3,200 पालतू कुत्तों का ही रजिस्ट्रेशन है.
नहीं है सजा का कड़ा प्रावधान
एमसीडी वेटनरी विभाग के अफसरों के मुताबिक, एमसीडी एक्ट 1957 में खतरनाक ब्रीड वाले कुत्तों के हमले या काटने से किसी के घायल होने पर सजा का कड़ा प्रावधान नहीं है. एमसीडी सिर्फ खतरनाक ब्रीड वाले कुत्तों को न पालने की अपील ही कर सकती है. पालतू कुत्ते किसी पर हमला न करें, इसलिए मालिकों को कुत्ते के गले में पट्टा डालकर हाथों में चेन पकड़कर घुमाने का निर्देश दिया जाता है. कुत्ते के मुंह को बंद रखने के लिए मजल लगाने के लिए कहा जाता है.
एमसीडी एक्ट में कोई प्रावधान नहीं
बता दें कि मालिक ने अगर कुत्ते के गले में पट्टा नहीं डाला है या खुला छोड़ दिया है, तो उसके खिलाफ एमसीडी एक्ट में अधिकतम 50 से 100 रुपये तक ही जुर्माना लगाया जा सकता है. किसी ने कुत्ते का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, तो उसके खिलाफ अधिकतम एक हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है. इससे अधिक कार्रवाई एमसीडी नहीं कर सकती है, भले ही कोई रॉटविलर, साइबेरियन हस्की, डाबरमैन, पिक्चर बॉक्सर या पिटबुल ही क्यों न पाल रखा हो. खतरनाक ब्रीड वाले कुत्तों के स्वामित्व को लेकर भी एमसीडी एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है.
कुत्तों का रजिस्ट्रेशन कम
एमसीडी अफसरों के मुताबिक, दिल्ली में सिर्फ 3,000 से 3,200 कुत्तों का ही लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. करीब एक साल पहले कुत्तों के रजिस्ट्रेशन के लिए साउथ एमसीडी ने घर-घर सर्वे का एक अभियान चलाया था, लेकिन कई एनजीओ ने विरोध किया. हालात तो ऐसे हो गए कि कुत्तों के रजिस्ट्रेशन कराने के लिए घर-घर जाने वाले एमसीडी कर्मचारियों को लोगों ने बंधक बना लिया. इसके बाद यह अभियान ड्रॉप कर दिया गया.
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