Delhi PM2.5 Report: बुधवार को जारी 'एयर क्वालिटी एंड हेल्थ इन सिटीज' (Air Quality and Health in Cities) रिपोर्ट के अनुसार 2019 में दिल्ली (Delhi) में पीएम2.5 (PM2.5 की वजह से एक लाख की आबादी पर 106 लोगों की मौत हुई है. यह रिपोर्ट अमेरिका के एक गैर-लाभकारी शोध संस्थान 'हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट’ (Health Effect Institute) की ओर से जारी किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर शहरों में पीएम2.5 की वजह से एक लाख की आबादी पर औसतन 58 लोगों की मौत हुई है. ऐसे में यह आंकड़ा दिल्ली के लिए चिंता बढ़ाने वाली है.


रिपोर्ट के अनुसार 2019 में उच्चतम सालाना औसत पीएम2.5 एक्सपोजर स्तर के साथ दिल्ली दुनिया भर के 103 शहरों की सूची में सबसे ऊपर है. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर वेबसाइट पर जारी आंकड़ों से पता चला है कि दिल्ली में पीएम2.5 के कारण होने वाली मौतों की संख्या 2019 में 29,900 थी, जबकि साल 2010 में यह आंकड़ा 21,560 था. पीएम2.5 से जुड़े मामलों का अनुमान लगाने के लिए इसमें छह बीमारियों से होने वाली मौतों को शामिल किया गया था. इनमें इस्केमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, कम श्वसन संक्रमण, फेफड़े का कैंसर, टाइप 2 मधुमेह और पुरानी प्रतिरोधी फुफ्फुसीय रोग शामिल हैं.


पीएम2.5 से हृदय और सांस संबंधी समस्या होने का रहता है खतरा


पीएम2.5 अति सूक्ष्म कण होता है जो फेफड़ों में सूजन बढ़ाता है. इससे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली समेत हृदय और सांस संबंधी समस्याएं होने का खतरा रहता है. रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में दिल्ली में 110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वार्षिक औसत से पीएम 2.5 दर्ज हुआ, जो दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में सबसे ज्यादा है. इसके बाद दूसरे नंबर पर कोलकाता (84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) है. रैंकिंग में दिल्ली और कोलकाता क्रमश छठे और आठवें स्थान पर थे.


2010 से 2019 तक 7,239 शहरों का किया गया विश्लेषण


रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण पूर्व एशिया के शहरों में पीएम 2.5 का स्वास्थ्य पर असर तेजी से बढ़ा है. 2010 से 2019 तक 7,239 शहरों का विश्लेषण किया गया. इसमें पाया गया कि पीएम 2.5 की वजह से मृत्यु दर में सबसे अधिक वृद्धि वाले सभी 20 शहर दक्षिण-पूर्व एशिया में हैं, जिसमें इंडोनेशिया के 19 और मलेशिया का एक शहर शामिल है. सभी 20 शहरों में 2010 की तुलना में 2019 में पीएम 2.5 की मात्रा में 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई.


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2019 में दिल्ली में पीएम 2.5 से हुईं 29,900 मौतें


103 शहरों की सूची में दुनिया के 21 क्षेत्रों में सबसे अधिक आबादी वाले शहर शामिल हैं- जिसे दक्षिण एशिया, उत्तरी अफ्रीका/ मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका/ कैरेबियन, उप-सहारा अफ्रीका, पूर्वी यूरोप/ मध्य एशिया, पूर्वी एशिया/ प्रशांत और उच्च आय (पश्चिमी यूरोप, उच्च आय वाले उत्तरी अमेरिका, उच्च आय वाले एशिया प्रशांत सहित) क्षेत्रों को आगे 21 क्षेत्रों में उप-विभाजित किया गया है. स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों से पता चला है कि 2019 में दिल्ली में पीएम 2.5 से होने वाली मौतों की संख्या 29,900 थी.


सिर्फ 117 देशों के पास है पीएम 2.5 को ट्रैक करने की प्रणाली


वर्तमान में केवल 117 देशों के पास पीएम 2.5 को ट्रैक करने के लिए जमीनी स्तर की निगरानी प्रणाली है और केवल 74 राष्ट्र एनओ 2 स्तर की निगरानी कर रहे हैं. वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणालियों में रणनीतिक निवेश और लक्षित क्षेत्रों में उपग्रहों और दूसरे उभरती प्रौद्योगिकियों का विस्तारित उपयोग स्वच्छ हवा की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और परियोजना समन्वयक डॉ. सुसान एनेनबर्ग ने कहा, 'दुनिया के अधिकतर शहरों में जमीन आधारित वायु गुणवत्ता निगरानी की व्यवस्था नहीं है, इसलिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अनुमानित अति सूक्ष्म कण और गैस प्रदूषण के स्तर का इस्तेमाल किया जा सकता है.'


इन शहरों में स्वास्थ्य पर पड़ा सबसे अधिक प्रभाव


साल 2019 में 7,239 शहरों में पीएम 2.5 खतरों की वजह से 17 लाख मौतें हुईं, जिनमें एशिया, अफ्रीका, पूर्वी और मध्य यूरोप के शहरों में स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा. रिपोर्ट में कहा गया है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) प्रदूषण के भौगोलिक पैटर्न पीएम 2.5 प्रदूषण के लिए देखे गए पैटर्न से काफी अलग हैं. पीएम 2.5 प्रदूषण निम्न और मध्यम आय वाले देशों के शहरों में सबसे अधिक होता है, जबकि एनओ2 का स्तर सभी आय स्तरों के देशों के बड़े शहरों में अधिक होता है.


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