Delhi PM2.5 Report: सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरन्मेंट (CSE) के एक विश्लेषण में कहा गया है कि दिल्ली में 2.5 पार्टिकुलेट मैटर (PM) यानी (हवा में मौजूद 2.5 माइक्रोमीटर व्यास से कम आकार के सूक्ष्म कण) प्रदूषण का स्तर इस साल जुलाई, अगस्त, सितंबर तिमाही में औसत 37 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा. वहीं यह 2020 के दौरान दर्ज किये गये 36 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के पांच सालों के सबसे निचले स्तर से आंशिक रूप से अधिक है.


लॉकडाउन में सबसे साफ हवा
पर्यावरण के विषयों से जुड़े संगठन ने कहा इस साल जुलाई,अगस्त,सितंबर तिमाही से पहले का समय सबसे ज्यादा प्रदूषित समयों में से एक रहा. जबकि 2020 में इन तीन महीनों से पहले की तिमाही (मार्च-मई) सबसे साफ रहा और ऐसा कोविड-19 महामारी में लगे लॉकडाउन के कारण हुआ. सीएसई ने कहा, इसलिए यह समझना जरूरी है कि दिल्ली की वायु को साफ बनाने में किस चीज ने सहयोग दिया. वहीं बारिश के आंकड़ों पर गौर करने से पता चलता है कि मौसमी वायु गुणवत्ता पर बारिश का ज्यादा असर पड़ा. 


बारिश का पड़ा असर
इस साल जुलाई, अगस्त और सितंबर में बारिश का मौसम 45 दिनों का रहा. जबकि पिछले साल इस तिमाही में यह समय 39 दिनों का हा था.सीएसई ने कहा कि बारिश के इन बढ़े छह दिनों ने प्रदूषण के स्तर को कम रखने में मदद की. जबकि इस साल मॉनसून में कुल बारिश पिछले साल के मॉनसून के मुकाबले एक तिहाई ही हुई. बारिश के इन बढ़े दिनों ने खराब वायु गुणवत्ता के दिनों की नियमित शुरूआत होने को अक्टूबर तक टाल दिया. सीएसई ने गुरुवार को कहा था कि महामारी से पहले की तुलना में दिल्ली में सर्दियों के मौसम में औसत पीएम 2.5 प्रदूषण का स्तर करीब 20 प्रतिशत घट गया.




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