Delhi Cyber Crime News: शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट करके अगर आप भी जल्दी ज्यादा मुनाफा कमाने की चाह में स्टॉक मार्केट या किसी अन्य माध्यमों की तलाश में सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं तो सावधान हो जाइए, नहीं तो आप भी हो सकते हैं साइबर ठगों के अगले शिकार.

 

जी हां, बाहरी दिल्ली के साइबर थाने की पुलिस ने साइबर ठगों के एक ऐसे ही रैकेट का खुलासा करने में कामयाब पाई है, जो भोलेभाले लोगों को स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने पर मोटे मुनाफे का लालच देकर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे.

 

साइबर ठग के इस मामले में पुलिस ने राजस्थान और पंजाब में छापेमारी कर इस गिरोह के तीन ठगों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान, कपिल गुरु (47), हरेंद्र सिंह राठौर (42) और लक्ष्मी कांत (47) के तौर ओर हुई है. ये पंजाब के खरार और राजस्थान के जयपुर जिले के रहने वाले हैं. इनके कब्जे से पुलिस ने ठगी की वारदात में प्रयुक्त 04 मोबाइल फोन और एक डेबिट कार्ड बरामद किया है.

 

इंस्टाग्राम विज्ञापन से लोगों को फंसाते थे 

 

डीसीपी जिमी चिरम ने बताया कि 1 अगस्त को पीतमपुरा के रहने वाले शिकायतकर्ता जोगिंदर सिंह ने बाहरी जिला के साइबर थाने की पुलिस को 22 लाख रुपये की ठगी की शिकायत दी, जिसमें उन्होंने बताया कि इंस्टाग्राम पर सर्फिंग करने के दौरान उनकी नजर एक विज्ञापन और पड़ी, जो स्टॉक मार्केट में निवेश करने पर मोटे मुनाफे से संबंधित था. उन्होंने जब उस लिंक पर क्लिक किया तो उन्हें एक वाट्सएप ग्रुप में रिडायरेक्ट किया गया.

 

वाट्सएप ग्रुप का एडमिन और उसमें जुड़े फर्जी सदस्य ग्रुप को प्रमोट करने के लिए मोटे मुनाफे से सम्बंधित स्क्रीनशॉट को पोस्ट कर रहे थे, जिससे वो उस स्कीम की तरफ काफी आकर्षित हुए. हालांकि, शुरुआत में उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं ली, लेकिन जब ग्रुप के फर्जी सदस्यों के मुनाफे से सम्बंधित पोस्ट को देखा तो उन्होंने भी स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करने का मन बना लिया और ग्रुप एडमिन के निर्देश पर एक लिंक के माध्यम से खुद को इन्वेस्टमेंट के लिए पंजीकृत करा लिया.

 

झूठी ग्रोथ दिखाकर लोगों को करते थे गुमराह 

 

पीड़ित जोगिंदर सिंह ने अपनी सारी सेविंग्स और टुकड़ों में लिए लोन के माध्यम से कुल 22 लाख रुपये का निवेश स्टॉक मार्केट में किया था, क्योंकि उनका पोर्टफोलियों काफी तेजी से बढ़ रहा था और उसमें उन्हें अच्छा रिटर्न नजर आने लगा था, लेकिन जब उन्होंने उसमें से कुछ रकम निकालने की कोशिश की तो वो उसे निकाल नहीं पाए. इस पर जब उन्होंने अपनी पूरी रकम को मुनाफे के साथ निकालने का प्रयास किया तो उन्हें मुनाफे की रकम का 30% बतौर टैक्स के रूप में जमा करने को कहा गया, जिस पर उन्हें ठगी का एहसास हुआ और उन्होंने इसकी शिकायत साइबर पुलिस को दी.

 

बैंक खाते विश्लेषण से चला आरोपी का पता

 

डीसीपी चिरम ने बताया कि इस मामले में शुरुआती छानबीन के बाद भारतीय न्याय संहिता की सम्बंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई है. इसके लिए एसीपी ऑपरेशन नरेंद्र खत्री की देखरेख और एसएचओ संदीप पंवार के नेतृत्व में एसआई राकेश कुमार, हेड कॉन्स्टेबल रमेश कुमार, पवन कुमार, बिजेंद्र और कॉन्स्टेबल अंकित की टीम का गठन किया गया. जांच के दौरान टीम ने कथित ट्रांजेक्शन से सम्बंधित बेनिफिसरी एकाउंट की जानकारी बैंक हांसिल की.

 

पुलिस को एकाउंट की जानकारी से पता चला कि ठगे गए 22 लाख रुपये से 10 लाख रुपये साई गुरु एंटरप्राइजेज के नाम वाले बैंक ऑफ महाराष्ट्रा के एक खाते में आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर किए गए थे. उस बैंक खाते के लेनदेन के विश्लेषण करने पर टीम को पता चला कि महज पांच दिनों के भीतर उस खाते से अनाधिकृत रुप से 60 लाख रुपये से ज्यादा के ट्रांजेक्शन किए गए हैं, जिस पर पुलिस ने बैंक ऑफ महाराष्ट्रा खाते से संबंधित मोबाइल नम्बर और ईमेल आईडी का पता लगाया.

 

इसके बाद कथित जीमेल आईडी और मोबाइल नम्बर के IMEI/सीडीआर और आईपी एड्रेस का तकनीकी विश्लेशन किया गया, जिससे टीम को एक मोबाइल नंबर के सक्रिय होने का पता चला, जिसका लोकेशन पंजाब स्थित खरार के सेक्टर 126 में था. पुलिस ने उक्त मोबाइल को खरार में ट्रेस कर आरोपी कपिल गुरु को दबोच लिया.

 

बेंगलुरु से जुड़े अपराधियों के तार, 3 गिरफ्तार

 

पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि उसने बैंक खाते को खुलवाया था, जिसे उसने रिमोट एप्लिकेशन के माध्यम से राजस्थान के जयपुर में रहने वाले बंटी के हवाले कर दिया था. इस पर पुलिस ने जयपुर के सडोला में तलाश कर बंटी को भी पकड़ लिया, जिसने पुलिस को बताया कि उक्त बैंक खाते की सारी जानकारी उसने जयपुर के ही रहने वाले किसी लक्ष्मी कांत को दिया था. पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस की सहायता से जयपुर के जगतपुरा से उसे गिरफ्तार कर लिया.

 

पुलिस को आरोपी लक्ष्मी कांत ने बताया कि उसने उक्त बैंक खातों के अलावा कई अन्य बैंक खातों की पूरी जानकारी कर्नाटका के बेंगलुरु में रहने वाले राघवन और विश्वजीत सिंह को मुहैया करवाई थी. उसने खुलासा किया कि उन दोनों के चाइनीज लोगों से कनेक्शन है.