Delhi Crime News: साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के साइबर थाने के पुलिस ने साइबर ठगों के एक बड़े गैंग का भंडाफोड़ किया. साइबर गैंग के सदस्य भोलेभाले लोगों को घर बैठे ऑनलाइन फूड रेटिंग जॉब के बदले मोटी कमीशन का झांसा देकर ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने मास्टरमाईंड समेत गिरोह के 4 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. आरोपियों की पहचान लक्ष्मी नगर निवासी विकास आहूजा, एमपी के टीकमगढ़ निवासी अजय उर्फ अजू बंशकर, दिल्ली रघुबीर नगर निवासी ईशु और उत्तम नगर निवासी दिलीप कुमार के रूप में हुई है. दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 9 मोबाइल फोन, 10 बैंक पासबुक, 4 डेबिट कार्ड, बैंक खाते में 3 लाख कैश बरामद किया है.


डीसीपी रोहित मीणा ने बताया कि नेशनल क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर 9 जनवरी को राज नगर पार्ट 2 के रहने वाले मनीष कुमार मीणा ने ऑनलाइन ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी. मीणा ने बताया था कि टेलीग्राम पर कुछ अज्ञात लोगों ने उनसे संपर्क किया. उन्हें एक कंपनी के लिए वर्क फ्रॉम होम जॉब का ऑफर दिया. उनकी तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया दिए जाने के बाद उन्होंने शिकायतकर्ता से @shravani12458 और @CSonlineYum99 नाम से बने टेलीग्राम आईडी पर उनसे कुछ जानकारियां ली. 


साइबर ठगों ने उन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर विभिन्न व्यंजनों को रेट करने का काम दिया गया. प्रत्येक टास्क को पूरा करने के बदले उन्हें एक हजार से 1500 रुपये तक दिए जाने का वादा किया गया. इस काम के लिए उन्हें एक फर्जी कंपनी के यूआरएल https://www.pocketacesin.org के माध्यम से रजिस्टर्ड कराया. मोटी कमीशन के लिए इन्वेस्टमेंट के नाम पर कई बार मे उनसे विभिन्न बैंक खातों में 5,37,852 रुपये का भुगतान कराया गया. 


जब पीड़ित शिकायतकर्ता ने पैसों को उनके निर्देशानुसार ट्रांसफर करना बंद कर दिया तो ठगों ने अपनी टेलीग्राम आईडी को डिलीट कर दिया और उनके पैसे भी वापस नहीं किए. ठगों ने  एयू बैंक के दो विभिन्न खातों के पीड़ित से उन रकम को ट्रांसफर कराया था.


पुलिस पहुंची करोल बाग की दुकान के पते पर


शिकायत मिलने के बाद पुलिस की शुरूआती जांच दौरान AU बैंक कथित लाभार्थी के खातों की जानकारी हांसिल की, जिसके अकाउंट में ठगी की रकम को ट्रांसफर कराया गया था.  बैंक खाते करोल बाग के रेगरपुरा के धनुष इन्टरप्राईजेज और वीवी ट्रेडर्स के नाम पर रजिस्टर्ड मिले। खाताधारकों के नाम संदीप कुमार रैकर और नरेंद्र कुमार बंशकर हैं. 


ये दोनों एमपी के टीकमगढ़ के रहने वाले हैं. इन बैंक खातों के विश्लेषण से पुलिस को छह करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन का पता चला. जबकि उन खातों में 3 लाख रुपये जमा थे, जिसे पुलिस ने फ्रीज करवा दिया है. एनसीआरपी पर इन खातों से जुड़े 5 और शिकायत पाये गए. ठगी की बड़ी वारदात को देखते हुए आरोपियों की जल्द से जल्द पकड़ के लिए एसीपी ऑपरेशन देवेंद्र कुमार के मार्गदर्शन और एसएचओ साइबर विकास कुमार बुलडक की देखरेख में एसआई सुमित के साथ हेड कॉन्स्टेबल मनेन्दर, विजयपाल और आसकरण की टीम का गठन किया गया था.


छानबीन में जुटी पुलिस टीम ने कथित खाताधारकों का पता लगाकर उनसे पूछताछ की, जिंसमें उन्हें पता चला कि टिकमगठ निवासी अजय बंशकर ने दिल्ली में जॉब दिलाने के लिए लाया था. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि अजय बंशकर उन्हें रेगारपुरा लेकर गया था. वहां विवेक नाम के एक शख्स ने उन्हें दिल्ली में जॉब दिलाने की बात कह कर विभिन्न दस्तावेजों पर उनके हस्ताक्षर लिए थे. 


इस बीच जांच को आगे बढ़ाते हुए पुलिस दोनों दुकान के मालिकों से भी पूछताछ की, जिन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने विजय कुमार उर्फ बिट्टू नाम के एक प्रॉपर्टी डीलर के माध्यम से ईशु को दुकान किराए पर दिया था. पुलिस ने जब प्रॉपर्टी डीलर विजय कुमार से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसके एक जानकर दिलीप ने ईशु को उसके पास भेजा था, जिसने खुद का परिचय विकास यादव के रूप में दिया था. उसने ही दोनों रेंट एग्रीमेंट को अपने सह-आरोपी अमन यादव के नाम पर बनाया था.


प्रति खाता 5 हजार का मिलता था कमीशन 


इस मामले में गंभीर प्रयासों के बाद आखिरकार पुलिस ने एक आरोपी अजय उर्फ अजू बंशकर को दबोच लिया.  जिसने खुलासा किया कि उसका साथी विकास आहूजा कोटला मुबारकपुर में उससे मिला था और अपना परिचय विवेक के रूप में दिया था. उसने दिल्ली में बैंक खातों को खोलने के लिए लोगों को लाने पर 5 हजार रुपये प्रति आदमी कमीशन का प्रस्ताव दिया था. उसने बताया कि विकास आहूजा के निर्देश पर ही वह दोनों खाता धारकों को करोलबाग के रेगारपुरा लाया था, ताकि उनके बैंक खाते खुलवाए जा सकें. जांच क्रम के दौरान पुलिस ने दूसरे आरोपी ईशु को भी गिरफ्तार कर लिया. जिसने बताया कि दिसंबर 2023 में दिलीप के माध्यम से वह विकास आहूजा के संपर्क में आया था. उसके और दिलीप के कहने पर उसने करोल बाग के रेगारपुरा में 20 हजार रुपये प्रति माह की दर से दो दुकानें किराए पर ली थी. जिसके बाद विकास ने निजी बैंक के अधिकारी से सम्पर्क कर संदीप रैकर और नरेंद्र बंशकर के नाम पर फर्जी करेंट एकॉउंट खुलवाए थे.


मास्टरमाईंड तक ऐसे पहुंची पुलिस


दिल्ली पुलिस ने तीसरे आरोपी दिल्ली को गिरफ्तार कर लिया. जिसने बताया कि अगस्त 2023 में वह विकास आहूजा के सम्पर्क में आया था. उनसे खुद का परिचय बैंक में काम करने वाले विवेक के रूप में दी थी. बाद में वे दोनों गहरे दोस्त बन गए और विकास ने इस काम मे उसे पार्टनर बनाया, जबकि ईशु को करोल बाग में किराए ओर दुकान हासिल करने के लिए काम पर रखा गया था. तीनों आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस की सहायता से मास्टरमाईंड विकास आहूजा को दबोच लिया.


पूछताछ में उसने बताया कि, उसने आईपी यूनिवर्सिटी से मार्केटिंग में एमबीए किया है और 2017 से वह बैंकिंग सेक्टर के सेल्स डिपार्टमेंट में काम कर रहा था। वह ऑनलाइन बैंक खातों को खोलता था. उसने अपने इसी अनुभव का इस्तेमाल फर्जी बैंक खातों को खोलने में किया, जिंसमें वह ठगी की रकम को मंगवाता था. उंसके कब्जे से पुलिस ने आधा दर्जन मोबाइल फोन और आधा दर्जन बैंक एकॉउंट के किट बरामद किए हैं.


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