टीम बनाकर पुलिस ने शुरू की जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी सबडिवीजन शंकर बनर्जी के मार्गदर्शन और एसएचओ कोतवाली जतन सिंह की देखरेख में लाल किला चौकी के इंचार्च एसआई सतेंद्र सिंह के नेतृत्व में एएसआई वेद प्रकाश, हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र और अन्य पुलिसकर्मियों की टीम का गठन किया गया. जांच के दौरान, पुलिस टीम दो भागों में बंट कर आगे और पीछे के रास्तों के सीसीटीवी फुटेज की जांच की. उसी मुताबिक उनके रूट्स को फॉलो करना शुरू किया.
साथ ही इस तरह के मामलों में शामिल रहे आरोपियों की प्रोफाइल की जांच भी की. इसमें 10 रुपये के नोट को गिरा कर पीड़ितों के ध्यान को भटकाने का पता चला. साथ ही यह भी पता चला कि त्रिची का गिरोह इस तरह की चाल का इस्तेमाल करता है. इस जानकारी पर पुलिस टीम ने लगातार 7 दिनों तक काम किया और सीसीटीवी फुटेज के जरिए संदिग्धों की तस्वीरों को इस तरह के मामलों में शामिल आरोपियों के प्रोफाइल से मिलाना शुरू किया. इससे पुलिस एक आरोपी रुक्मण की पहचान करने में कामयाब हुई.
एक आरोपी को हैदरपुर मेट्रो स्टेशन के पास से दबोचा
इसके बाद पुलिस ने सूत्रों को सक्रिय किया और उसके बारे में जानकारियां इकट्ठा कीं. 9 अप्रैल को हैदरपुर मेट्रो स्टेशन से उसे दबोच लिया. हालांकि, उसने अपना मुंह नहीं खोला और जांच को भटकाने की कोशिश की. लगातार पूछताछ के दौरान भी, उसने अपने साथियों के नाम और ठिकाने का खुलासा नहीं किया. सीसीटीवी फुटेज के अनुसार, रुक्मण ही वह शख्स था, जिसने गाड़ी के ड्राइवर को जैन मंदिर के अंदर जाने के लिए कहा था. इस मामले में उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
हैदरपुर झुग्गी से दबोचे गए तीन आरोपी
आगे उंसके रिकॉर्ड की जांच करने पर पता चला कि वह अपने साथियों के साथ नबी करीम थाने में दर्ज एक मामले में फरार चल रहा है, और पिछले साल ही उंसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82 के तहत कार्यवाई शुरू की गई है. इसके बाद पुलिस टीम ने उसके साथियों की तलाश शुरू की और 11 अप्रैल 2024 को तीन आरोपियों अब्दुल हसन, सतियाराज और मदन को हैदरपुर झुग्गी से गिरफ्तार कर लिया. उनके कब्जे से 40 ग्राम सोने के आभूषण और 15 हजार नकद बरामद किए गए.
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