Delhi News: दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट थाने की पुलिस टीम ने लोगों को विदेश भेजने के नाम पर उनसे ठगी करने वाले इंटरनेशनल इमिग्रेशन रैकेट के मास्टरमाइंड को गिरफ्तार किया है. इस मामले में गिरफ्तार मास्टरमाइंड की पहचान गौरव गुसाईं के रूप में हुई है. ये दिल्ली के तिलक नगर का रहने वाला है. ये दुबई में बैठ कर इस सिंडिकेट को चला रहा था. पुलिस ने इसे तब गिरफ्तार किया जब ये अवैध रूप से नेपाल के रास्ते सड़क मार्ग से होता हुआ दिल्ली पहुंचा था.
कई पासपोर्ट और फर्जी वीजा बरामद
डीसीपी रवि कुमार सिंह के अनुसार, जांच के दौरान इसके पास से 35 इंटरनेशनल पासपोर्ट, फ्रांस के चार फर्जी वीजा, चार एटीएम कार्ड, चार एमिरेट्स कार्ड, छह बैंक पासबुक और तीन मोबाइल बरामद किया गया है. इसने 2015 में फेक वीजा रैकेट की शुरुआत की थी. इसके भारत के कई शहरों के एजेंट से लिंक हैं, और ये यूपी और गुजरात के अपने सहयोगियों से फर्जी वीजा और अन्य यात्रा दस्तावेज प्राप्त करता था.
मार्च महीने में मिली फर्जी वीजा की शिकायत से चला सिंडिकेट का पता
डीसीपी ने बताया कि, इस साल मार्च के 16 और 24 तारीख को आईजीआईए के इमिग्रेशन डिपार्टमेंट से दो अलग-अलग मामलों में पेरिस जा रहे कुल चार हवाई यात्रियों के फर्जी वीजा पर यात्रा करने की शिकायत मिली थी. दोनों मामलों में पुलिस ने पूछताछ के बाद यात्रियों को गिरफ्तार कर लिया था. 16 मार्च को पकड़े गए यात्रियों सुच्चा सिंह, सुरजीत सिंह और अमनदीप सिंह से पूछताछ में उन्होंने पुलिस को बताया कि वो उनके कॉमन फ्रेंड के माध्यम से दिल्ली के ऊत्तम नगर के रहने वाले गुरिंदर सिंह मोखा और पंजाब के रोपड़, रहने वाले संदीप कुमार नाम के एजेंट के संपर्क में आए थे.
इन्होंने यात्रियों को पेरिस जाने के लिए 15 लाख के हिसाब से प्रति यात्री 45 लाख में फ्रांस का फर्जी वीजा देने की बात की थी. जिसकी डील 36 लाख में फानल हुई और यात्रियों ने पांच लाख रुपये बतौर एडवांस उन्हें दिए थे. जिसके बाद उन्होंने उनका संपर्क गौरव गुसाईं नाम के एजेंट से करवाया था, जो दुबई में बैठ कर दिल्ली से ह्यूमन ट्रैफिकिंग के काम को संचालित करता है.
वहीं दूसरे मामले में पकड़े गए हरियाणा के हवाई यात्री सुशील कुमार ने पुलिस को बताया कि वो उनके भाई के द्वारा गौरव गुसाईं नाम के एजेंट के संपर्क में आये थे. उनके भाई की उससे मुलाकात तब हुई थी, जब वो टूटिस्ट वीजा पर दुबई गया हुआ था. वहां उसने गौरव गुसाईं को 50 हजार रुपये एडवांस दिए और, बाकी के साढ़े 12 लाख रुपये यूरोप पहुंचने के बाद देने की डील तय हुई थी.
दुबई में बैठा मास्टरमाईंड चला रहा था सिंडिकेट
वैश्विक स्तर पर विदेश भेजने के नाम पर लोगों से ठगी के इस गोरखधंधे के खुलासे के लिए, एसीपी आईजीआईए वीरेंद्र मोर की देखरेख और एसएचओ यशपाल सिंह के नेतृत्व में इंस्पेक्टर सुमित कुमार और अन्य की टीम का गठन किया गया था. आईजीआईए थाने में मामला दर्ज होने के बाद से ही गुरविंदर सिंह मोखा और संदीप कुमार अपने-अपने घरों से फरार चल रहे थे, लेकिन लगातार उनकी तलाश में जुटी पुलिस को आखिरकार उनके बारे में सूचना मिली. जिसके बाद पुलिस ने दोनों को क्रमशः दिल्ली और पंजाब से दबोच लिया. लेकिन गौरव गुसाईं अब तक पुलिस की पहुंच से बाहर था, क्योंकि वो दुबई में बैठ कर इस ह्यूमन ट्रैफिकिंग रैकेट को ऑपरेट कर रहा था, और लगातार दुबई-यूएसए में छुप कर रह रहा था.
पुलिस को पता चला कि वो अक्सर इंडिया आता रहता था, जिससे कि वो अपने ह्यूमन ट्रैफिकिंग रैकेट को सही तरीके से चला सके. जिसके बाद पुलिस ने उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया, जिससे की अगर वो इंडिया आता है, तो उसे पकड़ा जा सके.
लंबी निगरानी और प्रयास से आया पकड़ में
जून 2022 में वो नेपाल के रास्ते सड़क मार्ग से इंडिया पहुंचा. इस दौरान वो वर्चुअल इंटरनेशनल नंबर और वाट्सएप कॉल का इस्तेमाल कर रहा था. जिसके बाद पुलिस ने उसके इंटरनेशनल/वाट्सएप नंबर को सर्विलांस पर लगाया. टेक्निकल सर्विलांस और बारीकी से उसके कॉल रिकॉर्ड्स की जांच से आखिरकार पुलिस उसके मूवमेंट को ट्रैक करने में कामयाब मिली. पुलिस को उसके दिल्ली में होने का पता चला. जिसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश में कई जगह छापेमारियां की और आखिरकार रोहिणी इलाके से उसे दबोचने में कामयाब हुई.
इससे पहले, इस मामले में पुलिस ने 17 मार्च को आरोपी एजेंट संदीप कुमार को रोपड़ को पंजाब से, जबकि 23 मार्च को गुरिंदर सिंह मोखा को दिल्ली के ऊत्तम नगर से गिरफ्तार किया था. इस मामले में पुलिस ने आरोपी मास्टरमाईंड को गिरफ्तार का रिमांड पर ले लिया है, और उससे आगे की पूछताछ कर रही है. साथ ही उसके अन्य साथियों को गिरफ्तार कर पूरे सिंडिकेट के खुलासे में जुट गई है.