Delhi Police News: नॉर्थ डिस्ट्रिक्ट की स्पेशल स्टाफ पुलिस ने धोखाधड़ी और जालसाजी के एक ऐसे अनोखे और बड़े मामले का खुलासा किया है. इस मामले में आरोपियों ने मिल कर विदेश जाने वाले लोगों के फॉरेक्स कार्ड से लाखों रुपये उड़ा डाले. आरोपियों ने इस वारदात को बड़ी ही चालाकी और योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया. यही नहीं, ये देश में इस तरह का पहला अपराध है, जिसमें 3 साल के दौरान चार अलग-अलग देशों में जा कर जालसाजी के पैसों को निकाला गया और फिर हवाला और क्रिकेट बेटिंग (Cricket Batting) के सहारे भारत में वापस लाया गया.


आरोपियों ये सामान हुए बरामद


डीसीपी सागर सिंह कालसी के अनुसार, इस मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाबी पाई है. इनकी पहचान, सोनल और पारस के रूप में हुई है. ये दिल्ली के पश्चिम विहार और ब्रह्मपुरी इलाके के रहने वाले हैं. इनके कब्जे से 7 मोबाइल फोन, 2 सिम कार्ड और लग्जरी गाड़ियां बरामद की गई हैं.


फॉरेक्स कार्ड में 11 लाख रुपये के विदेशी मुद्रा डलवाये 


डीसीपी ने बताया कि पिछले साल बाड़ा हिन्दू राव थाने की पुलिस को दी गई शिकायत में फॉरेक्स कार्ड यूजर महिला शिकायतकर्ता ने बताया कि वो जब यूके में थी, तब उसे पता चला कि उसने अपने फॉरेक्स कार्ड में 11 लाख रुपये की जो विदेशी मुद्रा डलवाई थी, वो किसी ने जालसाजी कर निकाल लिए हैं. जब वो इंडिया वापस आईं, तो इसकी शिकायत पुलिस और बैंक को दी. जांच में पता चला कि बैंक के कई अन्य फॉरेक्स कार्ड उयोगकर्ताओं के साथ भी ऐसी ही धोखाधड़ी हुई है.


थाईलैंड से 64 लाख रुपयों से ज्यादा की हुई निकासी


पूछताछ में पता चला कि कस्टमर के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी को कस्टमर केयर में कॉल कर बदलवा दिया गया था और फिर फॉरेक्स कार्ड की रकम को पुराने कार्ड से नए कार्ड पर ट्रांसफर करवा दिया गया था. इसके बाद मई 2022 में थाईलैंड में अलग-अलग लोकेशन से 64 लाख रुपयों से ज्यादा की निकासी की गई.


टेक्निकल गैजेट और सॉफ्टवेयर का किया इस्तेमाल 


मामले की गंभीरता को देखते हुए, एसीपी ऑपरेशन धर्मेंद्र कुमार के मार्गदर्शन और इंस्पेक्टर अजय कुमार की देखरेख में एसआई रोहित, एएसआई राजीव, हरफूल, जगराम, हेड कॉन्स्टेबल अमित, देवेंदर और अन्य की टीम का गठन कर जांच में लगाया गया था. पुलिस टीम ने तीन साल के दौरान चार देशों में किए गए इस अपराध की तह तक पहुंचने के लिए सभी संभव टेक्निकल गैजेट और सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया. इस दौरान फॉरेक्स कार्ड से हुए सभी ट्रांजेक्शन से जुड़े डाटा को पुलिस ने बैंक से हासिल किया.


मोबाइल नंबरों की पहचान की गई


बैंक कस्टमर के उन हजारों कॉल्स को देखा गया, जिसमें फॉरेक्स कार्ड से संबंधित कॉल किये गए थे. इसके बाद मोबाइल नंबरों की पहचान की गई और उन कथित नंबरों के लोकेशन तक पहुंचकर पुलिस ने पता किया. वहीं, पुलिस कि एक टीम उन लोगों की जानकारी पर कम कर रही थी, जिनके पास भारतीय पासपोर्ट था और अपराध के आसपास के तारीख में थाईलैंड के लिए रवाना हुए थे.


टेक्निकल सर्विलांस से मिले डेटा से किया मैच 


सीडीआर के आधार पर किए गए टेक्निकल सर्विलांस, इंटरनेट प्रोटोकॉल और अन्य तकनीकी निगरानी की सहायता से पुलिस टीम एक शख्स की पहचान करने में कामयाब हुई, जो उन सभी लोकेशन पर मौजूद था, जहां से बैंक के कस्टमर केयर को कॉल किया गया था. इंडियन पासपोर्ट होल्डर के संबंधित तारीखों पर थाईलैंड यात्रा विवरण की जानकारियों को भी इकट्ठा किया गया और टेक्निकल सर्विलांस से मिले डेटा से मैच किया गया. जिसमें पश्चिम विहार के रहने वाले सोनल की पहचान हुई.


2019 में बैंक के एक एम्प्लॉयी रहे हैं


इसके बाद पुलिस ने उसकी नजदीकी निगरानी शुरू की. इसमें उन्हें पता चला कि सोनल इस महीने एक बार फिर थाईलैंड गया है. जिस पर पुलिस ने उसके मूवमेंट को ट्रैक करना शुरू किया और जैसे ही वो इंडिया वापस लौटा, उसे दबोच लिया गया. पूछताछ में उसने बताया कि 2019 में बैंक के एक एम्प्लॉयी रहे पारस नाम के शख्स से उसने फॉरेक्स कार्ड होल्डर के डिटेल प्राप्त किये थे. पारस ने ही उसे एक कार्ड से दूसरे कार्ड पर पैसों को ट्रांसफर करने की जानकारी दी थी. आरोपी सोनल और सह आरोपी संदीप ओझा ने कॉल करने के लिए सिम कार्ड अरेंज किया था और फरवरी 2022 से नॉएडा के सेक्टर 137 से बैंक के कस्टमर केयर को कॉल करना शुरू किया था. उसने बताया कि वह और संदीप ओझा मई 2022 में बैंकॉक और थाईलैंड गए थे, जहां उन्होंने एटीएम का इस्तेमाल कर फॉरेक्स कार्ड से पैसे निकाले थे. इसके लिए उन्होंने एक थाई नागरिक अनुराक की सहायता ली थी. जिसके बाद पैसों को हवाला और क्रिकेट बेटिंग कर भारत भेजा गया. आरोपी को ऐशो आराम की जिंदगी जीना काफी पसंद है, और अक्सर पैसों को निकालने के लिए थाईलैंड जाता रहता था.


फॉरेक्स कार्ड से पैसे ट्रांसफर करने में है एक्सपर्ट


आरोपी ने यह भी खुलासा किया कि इससे पहले 2019 में उसने हॉन्गकॉन्ग और दुबई जा कर भी इसी तरह से पैसे निकाले थे. वहीं, आरोपी पारस चौहान ने खुलासा किया कि वह सेल्स एंड ऑपरेशन कंसल्टेंट था और एक फॉरेक्स कार्ड से दूसरे पर पैसों को ट्रांसफर करने के तरीके से अच्छी तरह से वाकिफ था. उसने पैसों के बदले सोनल को फॉरेक्स कार्ड कस्टमर के डिटेल उपलब्ध करवाए थे.


इस मामले में पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और आगे की जांच के साथ ही आरोपी संदीप ओझा की तलाश में जुट गई है.


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