दिल्ली पुलिस ने साइबर क्राईम पर प्रहार करने और साइबर अपराधियों की धर-पकड़ के लिए खुद को अपग्रेड कर लिया है और अब तकनीक का सहारा ले कर साइबर अपराधियों पर नकेल कस रही है. क्या है वो सॉफ्टवेयर और कैसे दिल्ली पुलिस ले रही इसकी मदद, पढ़िए इस पूरी खबर में.
दरअसल, दिल्ली पुलिस एक खास सॉफ्टवेयर के जरिए संदिग्धों पर नजर रख रही है. इसकी सहायता से खास तौर पर साइबर अपराधियों की निगरानी की जा रही है जो डिवाइस हैकिंग और क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन में लिप्त हैं. पिछले दिनों सामने आई घटनाओं से खुलासा हुआ कि हथियार की खरीद-फरोख्त, ड्रग्स के व्यापार और कालाबाजारी जैसी गतिविधियों में खुल कर क्रिप्टो करेंसी का उपयोग किया जा रहा है. पुलिस का मानना है कि इसके लिए अपराधी बेहद सुरक्षित नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसी नेटवर्क को भेदने के लिए दिल्ली पुलिस 'मालवेयर फॉरेंसिक' नाम के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है.
मनी ट्रेल का पता लगाना हुआ आसान
पुलिस ने जब से इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू किया है, तब से अब तक काफी फायदा पुलिस को मिला है. इसका सबसे बड़ा फायदा क्रिप्टो करेंसी की जांच में मिला है. इससे क्रिप्टो करेंसी में होने वाले लेन- देन के मनीट्रेल की जांच करना आसान हो गयी है.
ऐसे काम करता है ये सॉफ्टवेयर काम
ब्लॉकचेन तकनीक मूलरूप से इस तरह से जानकारी रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है जी सिस्टम को बदलने हैक करने या धोखा देने के लिए इसे बेहद मुश्किल या असंभव बना देती है. इस चेन को ही रीड करने में इससे मदद मिलती है.
मालवेयर फॉरेंसिक का इस्तेमाल वायरस के जरिये हैकिंग करने वालों को पकड़ने में भी किया जा रहा है. किसी सिस्टम में वायरस आने के बाद वह एप्लीकेशन को प्रभावित कर देता है. ऐसे में सामान्य तौर पर यह जानना कि किसी शख्स ने डाटा बाहर कहाँ भेजा है मुश्किल हो जाता है. लेकिन सॉफ्टवेयर से हैक कर सूचनाएं भेजने वाले के श्रोत का पता लगाया जा सकता है. यह किसी भी साइबर अपराध की जाच में काफी मददगार साबित हो रहा है. पुलिस का कहना है कि इसकी मदद से उन्होंने कई मामलों को सुलझाया भी है जिससे पीड़ितों को फायदा हुआ है.