Delhi News: द्वारका जिले की द्वारका सेक्टर-23 थाने की पुलिस टीम ने इलाके में चल रहे दो फर्जी इंटरनैशनल कॉल सेंटर का खुलासा करते हुए मास्टरमाइंड समेत कुल 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. ये लोग खुद को माइक्रोसॉफ्ट के टेक्निकल सपोर्ट स्टाफ बता कर अमेरिका में रहने वाले लोगों को झांसा देकर उनसे ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. 


आरोपी कॉल सेंटर से माइक्रोसॉफ्ट अकाउंट टेक्निकल सपोर्ट के नाम से लोगों को कॉल करते थे और उनके सिस्टम में प्रॉब्लम की बात बता कर उसे दूर करने का झांसा दे कर उनसे गिफ्ट कार्ड के रूप में भारतीय रुपयों में मोटी रकम ऐंठ लेते थे.


छापेमारी कर 7 को दबोचा
डीसीपी अंकित सिंह ने बताया कि द्वारका पुलिस को सेक्टर 19 स्थित एक बिल्डिंग के थर्ड फ्लोर पर एक फर्जी कॉल सेंटर चलाये जाने की सूचना मिली थी. जहां से अमेरिकी नागरिकों को कॉल कर माइक्रोसॉफ्ट एग्जीक्यूटिव होने का झांसा देकर ठगी की जाती हैं. इस सूचना पर एसीपी मदन लाल मीणा की देखरेख और एसएचओ सुनील कुमार रंजन के नेतृत्व में एसआई राहुल, एएसआई मंगतू राम और अन्य की टीम का गठन किया गया. 


टीम ने सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर मौके पर छापेमारी की जहां से 2 महिला समेत कुल 7 आरोपियों को दबोचा लिया. जिनकी पहचान, रेहान उर्फ बेन, आशीष नेगी उर्फ मार्क, ठाकुर उदय गिल उर्फ एरिक, प्रदीप कुमार उर्फ डेन, निखिल गुप्ता उर्फ निक, प्रभजीत उर्फ स्टेला और नंदिनी अम्बाष्ठा उर्फ लिंडा बर्नेट के तौर पर हुई है. इनके कब्जे से 15 स्मार्ट फोन, 11 लैपटॉप और चार्जर, 7 राउटर और  संभावित पीड़ितों के डेटा बरामद किए गए हैं.


बताते थे खुद को माइक्रोसॉफ्ट का टेक्निकल सपोर्ट
आरोपी अंग्रेजी नामों के सहारे विदेशी नागरिकों को कॉल करते थे, ताकि यूएस सिटीजन को उन पर शक न हो. वे उनके सामने खुद को माइक्रोसॉफ्ट के टेक्निकल सपोर्ट के रूप में प्रस्तुत कर उनके सिस्टम की समस्याओं को दूर करने का झांसा देते थे, जो वास्तविकता में होती ही नहीं थी. इसके लिए आरोपियों ने अपने लैपटॉप में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क इनस्टॉल कर रखा था, जिससे वे अपनी आईपी एड्रेस को छुपा सकें. लैपटॉप की जांच में पाया गया कि आरोपी हाई-एंड टेक्निकल सॉफ्टवेयर जैसे, माइक्रो सिप, अल्ट्राव्यूअर और आईबीएम डायलर जैसे सॉफ्टवेयर की सहायता से यूएस नंबरों पर कॉल करते थे. 


इंटरनेशनल कॉल करने के लिए ये इंटरनेशनल लॉन्ग डिस्टेंस गटेवेस को बाईपास कर वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल तकनीक का इस्तेमाल करते थे, जिससे ये सरकार को भी नुकसान पहुंचा रहे थे. उनके लैपटॉप की जांच में कई अमेरिकी नागरिकों के नम्बर, ईमेल आईडी और उनसे ठगी की गई रकम की जानकारी पाई गई.  इस मामले में उन सभी के ख़िलाक द्वारका सेक्टर 23 थाने में मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.


मास्टरमाइंड ने किया सिंडिकेट के दूसरे कॉल सेंटर का खुलासा
जांच के दौरान पूछताछ में मास्टरमाइंड आरोपी रेहान उर्फ बेन ने बताया कि, वह 12वीं पास है और पहले प्राइवेट जॉब करता था. लेकिन उसे जल्दी से ज्यादा पैसे कमाने थे, जिसके लिए वह सिद्धार्थ नाम के एक शख्स के संपर्क में आया जो इस तरह के फर्जी कॉल सेंटर चलाता था. उसी ने उसे कॉल सेंटर और ठगी की सारी जानकारी सिखाई और तकरीबन 6-7 महीने पहले उसने सेक्टर 19 के थर्ड फ्लोर पर इस कॉल सेंटर की शुरुआत की थी. 


धीरे-धीरे उसने इस काम के लिए 06 लोगों को नौकरी पर भी रख लिया था. आगे उसने सिंडिकेट के एक और कॉल सेंटर के बारे में खुलासा किया. उसकी निशानदेही पर पुलिस ने सेक्टर 19 के किराए के मकान नंबर 137 में चल रहे दूसरे फर्जी कॉल सेंटर पर भी छापेमारी की और वहां से 4 लैपटॉप और चार्जर आदि बरामद किया.


इस मामले में पुलिस आगे की जांच में जुट कर सह आरोपी सिद्धार्थ एवं अन्य की तलाश के साथ ठगी गयी रकम की बरामदगी में भी लग गयी है.


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