Delhi News: दिल्ली पुलिस ने कथित तौर पर फर्जी वीजा बनाने का रैकेट चलाने वाले गैंग का भंडाफोड़ करते हुए बुधवार को इस गैंग के 8 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने बताया कि यह गैंग दिल्ली के कनॉट प्लेस से इस रैकेट को चला रहा था. विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने कहा कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को जानकारी मिली थी एक गैंग कनॉट प्लेस और अन्य इलाकों से चलाया जा रहा है. सूचना के आधार पर इन जगहों पर छापेमारी की गई और 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.


वीजा हासिल करने के लिए बनाते थे फर्जी दस्तावेज


पुलिस ने कहा कि आरोपी व्यक्ति पिछले 10 से 12 वर्षों से विभिन्न देशों से वीजा हासिल करने के कारोबार में थे और जाली दस्तावेज तैयार करते थे.  उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने उनसे दस्तावेज बनवाए उनमें से ज्यादातर युवा बेरोजगार हैं और रोजगार की तलाश में विदेश जाना चाहते थे. पुलिस ने बताया कि इन लोगों के पास वीजा हासिल करने के लिए वैध दस्तावेज नहीं थे. इसलिए वे कुशल व्यक्तियों के माध्यम से जाली दस्तावेज तैयार करते थे और दस्तावेजों के आधार पर वीजा के लिए आवेदन करते थे. पुलिस ने बताया कि दस्तावेज तैयार करने के लिए आरोपी उनसे मोटी रकम वसूलते थे.


दिल्ली, यूपी के रहने वाले हैं सभी आरोपी


आरोपियों की पहचान हरियाणा निवासी बलदेव राज (54), अंश मदान(23), बलिहार सिंह (43) और कुलदीप सिंह (56) और  वसंत कुंज निवासी शिव राम कृष्णन (39) और मयूर विहार फेज-3 निवासी  सुनील बिस्ट (40) और नंद बल्बभ जोशी (43),  यूपी के आजमगढ़ निवासी कुमार शुक्ला (30) के रूप में हुई है. अवैध वीजा सिंडिकेट राज और कृष्णन द्वारा नीरज, बिष्ट और शुक्ला के निर्देश पर संचालित किया जा रहा था. आरोपियों ने बताया कि वे  'ग्रीन टूर एंड ट्रेवल' के नाम से एक ट्रैवल बिजनेस चला रहे थे. उन्होंने कहा कि उनका नेटवर्क हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और यूपी आदि राज्यों में फैला हुआ है. पुलिस अधिकारी यादव ने बताया कि सिंडिकेट के लोग बातचीत करने के लिए  अत्यधिक एन्क्रिप्टेड मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे थे. कुछ आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग भी इस सिंडिकेट का हिस्सा हैं.


चुनाव भी लड़ चुका है गैंग का मास्टरमाइंड


राज इस सिंडिकेट का मास्टरमाइंड है. साल 2003 में वह दिल्ली आ गया था. दिल्ली आने से पहले उसने पंजाब में चुनाव भी लड़ा था. सिंडिकेट के दूसरे मास्टरमाइंड कृष्णन के पंजाब और गुजरात स्थित एजेंटों से संबंध हैं. कृष्णन ने बताया कि वह ग्राहकों के वीजा के लिए आवश्यक दस्तावेज जैसे बैंक अकाउंट स्टेटमेंट, आईटीआर फर्जी  तरीके से तैयार करता था. वहीं बिष्ट इससे पहले 2010 में वीजा धोखाधड़ी से जुड़े 27 मामलों में शामिल था. उसकी साल 2012 में राज से मुलाकात हुई थी.


आरोपियों से 5 लाख कैश और 293 पासपोर्ट बरामद


वहीं बलिहार इस गैंग से जुड़ने से पहले भजन-कीर्तन का काम करता था. वह साल 2021 में बिष्ट के संपर्क में आया और उसने एजेंट के रूप में काम करना शुरू कर दिया. पुलिस ने बताया कि आध्यात्मिक व्यक्तित्व के कारण कई लोग उस पर विश्वास कर लेते थे. ऐसे लोग उसके ग्राहक बने जो विदेश जाना चाहते थे. पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से 4 बांग्लादेशी 2 नेपाली सहित 293 पासपोर्ट बरामद हुए हैं. इसके अलावा उसके पास से 5 लाख नकद और जाली दस्तावेज भी मिले है.


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