होली पर हुड़दंग पर नकेल, दिल्ली पुलिस ने काटे ताबड़तोड़ चालान, 2376 लोग बिना हेलमेट पकड़े गए
Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस ने 1200 से ज्यादा लोगों को शराब के नशे में गाड़ी चलाने और 2300 से ज्यादा लोगों को बिना हेलमेट और ट्रिपल राइडिंग के लिए चालान किया.

Holi 2025: रंगों के त्योहार होली पर हुड़दंग और नशे में लापरवाही के कारण हर साल सड़क हादसे और हिंसा के मामले सामने आते हैं. इस बार दिल्ली पुलिस ने खास सतर्कता बरतते हुए व्यापक बंदोबस्त किए, जिससे दुर्घटनाओं में कुछ हद तक कमी आई. लेकिन फिर भी चार लोगों की मौत हो गई और आठ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए.
यातायात नियमों के उल्लंघन पर इस बार पुलिस ने ज्यादा सख्ती दिखाई. 1,213 लोगों को नशे में वाहन चलाने पर पकड़ा गया, जबकि 2,376 लोगों को बिना हेलमेट और 573 को ट्रिपल राइडिंग के लिए चालान किया गया. पिछली बार की तुलना में इस बार चालानों की संख्या बढ़ी, जिससे साफ है कि लोग अभी भी नियमों की परवाह नहीं कर रहे.
विशेष आयुक्त यातायात अजय चौधरी के अनुसार, यातायात पुलिस ने 300 स्थानों पर नाके लगाए थे और 84 जगहों पर विशेष टीमों के साथ ड्रंकन ड्राइविंग की जांच की गई. पुलिस और पीसीआर की संयुक्त टीमें 40 स्थानों पर तैनात की गई थी.
पुलिस के आंकड़ों के अनुसार इन नियमों के उल्लंघन पर खूब हुए चालान
• नशे में वाहन चलाने पर चालान: 1,213
• ट्रिपल राइडिंग: 573
• बिना हेलमेट: 2,376
• टिंटेड ग्लास: 97
• अन्य नियमों के उल्लंघन पर चालान: 2,971
अस्पताल पहुंचे घायल
भले ही पुलिस ने सख्ती बढ़ाई, लेकिन सड़क हादसे और मारपीट की घटनाओं में लोग बुरी तरह घायल हुए. दिल्ली के अस्पतालों में होली के दिन 500 से अधिक घायल मरीज पहुंचे, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर थी.
एम्स ट्रॉमा सेंटर में पिछले साल की तुलना में ज्यादा मरीज भर्ती हुए. सामान्य दिनों में जहां 150-175 मरीज आते हैं, वहीं इस बार 306 घायल पहुंचे. डॉक्टरों के मुताबिक, 35-40% लोग मारपीट में घायल हुए, जबकि सड़क दुर्घटनाओं के शिकार मरीजों की संख्या भी काफी थी.
अस्पतालों में पहुंचे घायलों के आंकड़े:
- एम्स ट्रॉमा सेंटर: 306 मरीज (294 पिछले साल थे)
- एलएनजेपी अस्पताल: 67 मरीज
- एलबीएस अस्पताल: 50 मरीज (44 मारपीट, 6 सड़क हादसे)
- आरएमएल अस्पताल: 42 मरीज
- सफदरजंग अस्पताल: 45 से ज्यादा मरीज
इसके अलावा जीटीबी, डीडीयू सहित कई अन्य अस्पताल में भी लोग घायल अवस्था में पहुंचे.
क्या केवल सख्ती से हालात सुधरेंगे?
पुलिस की कड़ी निगरानी और बढ़े हुए चालानों के बावजूद, सड़क हादसे और हिंसा में कमी नहीं आयी. डॉक्टरों के अनुसार, अधिकतर लोग नशे में गाड़ियों को रैश ड्राइव करते हैं या फिर झगड़े में उलझ जाते हैं, जिससे चोटें गंभीर हो जाती हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि केवल पुलिस की सख्ती काफी नहीं है, बल्कि लोगों को खुद भी जिम्मेदारी दिखानी होगी. अगर यातायात नियमों का पालन किया जाए और नशे में वाहन न चलाया जाए, तो हर साल होली पर होने वाले ये हादसे रोके जा सकते हैं.
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