Delhi News: दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच (Delhi Police Crime Branch ) ने क्रेडिट कार्ड (Credit Card)सेवाओं को एक्टिव करने के नाम पर लोगों को ठगने के लिए फास्टैग (FASTag) का उपयोग करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया है. पुलिस ने कहा कि उन्होंने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और आरोपियों के कब्जे से लग्जरी वाहन और अन्य एसयूवी जब्त किए हैं. पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने एक महीने से भी कम समय में लोगों से 80 लाख रुपए की ठगी की.
पुलिस ने ऐसे किया मामले का खुलासा
पुलिस द्वारा एक मर्डर केस की छानबीन करने के दौरान यह मामला उनके संज्ञान में आया. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गैंग का एक सदस्य हत्या के आरोपी के साथ रह रहा था. पुलिस ने 22 वर्षीय मोहम्मद जाहिद शख्स को लैपटॉप, मोबाइल, कार्ड स्वाइप मशीन और कई सिम कार्ड के साथ पकड़ा. जब पुलिस ने उससे इस सामान के बारे में पूछा तो वह जवाब नहीं दे सका.
क्रेडिट कार्ड एक्टिवेट करने के नाम पर करते थे ठगी
जब पुलिस ने उससे कड़ाई से पूछताछ की तो उसने बताया कि वह एक ऐसे गैंग का हिस्सा है जो क्रेडिट कार्ड एक्टिवेट कराने और अन्य सेवाओं के नाम पर लोगों को ठग रहा है और उसे गैंग के सरगना पवन सिंह के फर्जी खातों के प्रबंधन का काम सौंपा गया है. इसके बाद उसने पुलिस को अपने साथी रवि मित्तल का नाम भी बताया, जो पीड़ितों के खाते का उपयोग करके फास्टैग वॉलेट बनाता था.
फास्टैग में ट्रांसफर कर लेते थे पैसे
विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि यह गिरोप धोखाधड़ी के पैसे प्राप्त करने के लिए फास्टैग का इस्तेमाल करता था. रवि पंप संचालकों की मिलीभगत से कार्ड स्वाइप मशीन का इस्तेमाल कर हरियाणा और चंडीगढ़ में पेट्रोल और सीएनजी पंपों पर फास्टैग वॉलेट से पैसे निकालता था और इसके बाद वे लोग इस पैसे को आपस में बांट लिया करते थे. पुलिस आयुक्त ने कहा कि रवि विभिन्न वाहन नंबरों का उपयोग करके आईडीएफसी बैंक का फास्टैग बनाता था. उन्होंने बताया कि वे उन लोगों को निशाना बनाते थे जिन्होंने हाल फिलहाल में क्रेडिट कार्य लिया है.
ऐसे बनाते थे लोगों को निशाना
गिरोह का एक सदस्य इन लोगों से कार्ड एक्टिवेट कराने, क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने और सालान चार्ज माफ करने के नाम पर फोन करता था और एक बार उनका विश्वास जीत लेने के बाद वे उनसे उनसे उनकी कार्ड डिटेल और ओटीपी मांग लेते थे और फास्टैग बनाते थे. इस फास्टैग को बनाने के लिए आरसी और ओटीपी की जरूरत होती है. पुलिस ने बताया कि इसके बाद वे क्रेडिट कार्ट के पैसे को फास्टैग वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते थे. आरोपियों ने एक करेंट अकाउंट भी बना रखा था, जिसमें वे सारा पैसा ट्रांसफर कर लेते थे.
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