Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली में आये दिन रफ्तार का कहर देखने को मिलता रहता है. अगर हर दिन की बात की जाए तो औसतन एक दिन में 18 से 20 सड़क हादसे होते हैं, जिनमें हिट एंड रन के लगभग 5 मामले हर दिन होते हैं. इन मामलों में ट्रैफिक पुलिस के प्रयासों और सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए किए गए उपायों के कारण साल 2022 की तुलना में 2023 में सड़क हादसों में कमी आई है. हालांकि, यह कमी काफी मामूली हैं, लेकिन इस कमी को सकारात्मक संकेत माना जा सकता है.
1275 लोगों की जान बचाने में मिली सफलता
यातायात पुलिस सड़क हादसों में आई कमी को देखते हुए यह दावा कर रही है कि आने वाले दो सालों में ये मामले 50 फीसदी से भी कम हो जाएंगे. यातायात विभाग के मुताबिक हादसों के बाद दिल्ली पुलिस ने पहले से ज्यादा तत्परता दिखाई है, जिससे सड़क हादसों में कमी आई है. साल 2023 में दिल्ली में 5834 सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 1751 हिट एंड रन के मामले थे. बीते वर्षों की तुलना में इस वर्ष पुलिस ने आम लोगों की मदद से 1275 घायल लोगों को बचाया. वहीं इन हादसों में 666 लोगों की मौत हुई.
बीते वर्ष की तुलना में आई कमी
बात करें बीते वर्षों की तो 2022 में दिल्ली में कुल 5662 सड़क हादसे रिपोर्ट किए गए, जिनमें 1772 मामले हिट एंड रन के थे. इन हादसों में 1321 लोग घायल हुए थे, जबकि 673 लोगों की मौत हो गई. वहीं 2021 में हुए 4720 सड़क दुर्घटनाओं में 1590 हिट एंड रन के मामले थे. इन दुर्घटनाओं में 1199 लोग घायल हुए जबकि 558 लोगों की मौत हुई.
दिल्ली का हर कोना होगा सीसीटीवी से लैस
हिट एंड रन के मामलों एवं अपराध पर अंकुश लगाने के लिए किये गए विशेष पहल के तहत दिल्ली पुलिस और अन्य सरकारी एजेंसी पूरी दिल्ली को सीसीटीवी कैमरों से लैस करने जा रही है. दिल्ली की 99 फीसदी सड़कें, मोहल्ले और चौराहे सीसीटीवी की नजर में होंगे. ऐसे में सड़क पर वारदात करने वाला तुरंत ही पकड़ा जा सकेगा.
घायलों की मदद करने वालों को नहीं किया जाएगा परेशान
स्पेशल सीपी ट्रैफिक के बताया कि हमने 2023 में हुए सड़क हादसों पर एनालिसिस किया है, जिसमे सबसे बेहद चौकाने वाली बात सामने आई है कि हिट एंड रन के केस में 70 फीसदी लोगों ने केवल मदद न मिलने के कारण दम तोड़ा है. ये काफी चिंताजनक विषय है. जिसे देखते हुए विशेष अभियान शुरू किया गया है. साथ ही पुलिस को इस बात की ट्रेनिंग दी जा रही है कि अगर कोई व्यक्ति हिट एंड रन के केस में पीडित या घायल को अस्पताल में भर्ती कराता है तो उसे किसी भी तरह से परेशान न किया जाए. अममून देखा गया है कि पुलिस के डर के कारण लोग सड़कों पर हादसों के बाद मदद के लिए आगे नहीं आते, जिसके कारण कई मौते होती हैं. इस साल इस ओर सबसे ज्यादा फोकस किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि सड़क हादसों में घायलों की मदद के लिए लोग आगे आ सकें.