(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Delhi News: साइबर अपराधियों से बच्चों को बचाने के लिए दिल्ली पुलिस तैयार, जारी किया ये नंबर
Delhi Crime: बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई करते-करते मनोरंजन के विकल्पों को भी तलाशने लगे हैं, बस यहीं पर वो साइबर अपराधी या यूं कहें ऑनलाइन प्रीडेटर के शिकार बन रहे हैं, जिससे बच्चों को बचाना बहुत ही आवश्यक है.
Delhi Police: आज तकनीक ने लोगों को काफी सक्षम बना दिया है. घर बैठे ही लोगों को देश-दुनिया के साथ उनके काम की खबरें उनके मोबाइल पर उपलब्ध हो जाती है. लेकिन कहते हैं न कि कोई भी चीज अपने साथ अच्छाई के साथ कुछ बुराई भी लाती है, तो वैसा ही कुछ इंटरनेट की दुनिया में भी हो रहा है, जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित या यूं कहें सबसे ज्यादा शिकार बाल मन हो रहे हैं.
कोरोना काल ने इंटरनेट के माध्यम से जहां व्यापार-काम के साथ घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई के रास्ते खोले तो वहीं इंटरनेट साइबर अपराधियों के लिए भी एक मौका लेकर आया. जिसका दुरुपयोग कर वे बच्चों को अपना शिकार बना रहे हैं.
झासे में लेकर दोस्ती और फिर ब्लैकमेल का खेल
बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई करते-करते मनोरंजन के विकल्पों को भी तलाशने लगे हैं. बस यहीं पर वो साइबर अपराधी या यूं कहें ऑनलाइन प्रीडेटर के शिकार बन रहे हैं. जिससे बच्चों को बचाना बहुत ही आवश्यक है. ये ऑनलाइन दरिंदे बच्चों के नाम के फर्जी प्रोफाइल सोशल साईट्स पर बनाते हैं. फिर उन्हें अपने झांसे में लेकर उनसे दोस्ती करते हैं. उनकी निजी तस्वीरें-वीडियो प्राप्त कर उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर कर ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं.
गलतियां होने पर बच्चों को समझ नहीं आता
इससे बच्चे परेशान रहने लगते हैं और ये तनाव कई बार उन्हें गलत कदम उठाने पर मजबूर कर देती है. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों को उनके साथ बाहर होने वाले गुड-बैड टच के साथ साइबर सिक्योरिटी से भी अवगत कराया जाए. उन्हें बताना चाहिए कि वो किसी भी अनजान लोगों से ऑनलाइन दोस्ती न करें. न ही अपनी निजी जानकारियों और तस्वीरों को उनसे साझा करें. कई बार ऐसा होता है कि बच्चे इस तरह की गलती कर बैठते हैं. फिर उन्हें समझ नहीं आता है कि वो क्या करें, किससे और कैसे अपनी परेशानी बताएं?
परिजनों और टीचर को करनी चाहिए बच्चो से बात
ऐसे में बच्चों को परिजनों से बात करनी चाहिए. अगर वो अपने परिजनों से बात नहीं कर पा रहे हैं तो स्कूल के टीचर से ये बातें शेयर कर सकते हैं. जिससे वो उनकी मदद कर सकें. परिजनों और स्कूल में शिक्षकों को भी चाहिए कि अगर बच्चा सामान्य से कुछ अलग व्यवहार कर रहा/रही है, या फिर उन्हें वो परेशान नजर आ रहे हैं तो उनसे बात करें. उनकी समस्या के कारणों का पता करें. अगर वो किसी साइबर अपराध वे शिकार हो गए हैं तो तुरंत ही इसकी सूचना दिल्ली पुलिस को दें. जिससे समय रहते ऐसे अपराधियों को पकड़ा जा सके. बच्चो को ऐसे अपराधों से बचाने के लिए जरुरी है की स्कूल की पढ़ाई के साथ उन्हें सुरक्षा के जरुरी पाठ भी सिखाये जाएं.
अपराधों की जानकारी पुलिस को दें
दिल्ली पुलिस ने बच्चों की सुरक्षा और इस तरह के अपराधियो को पकड़ने के लिए एक मुहिम चला रखी है. जिसे 'ऑनलाइन प्रीडेटर पर करना है वार', नाम दिया गया है. इसके तहत बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों से बचाव के साथ उन्हें उनकी सुरक्षा को लेकर जानकार भी बनाने की कोशिश की जा रही है. दिल्ली पुलिस ने इसके लिए '112' समर्पित नम्बर भी जारी किया हुआ है, जिस पर बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की जानकारी पुलिस को दी जा सकती है.
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