दिल्ली के तिलक नगर में पुलिस का छापा, नकली वीजा बनाने की 'फैक्ट्री' का खुलासा, 7 एजेंट अरेस्ट
Delhi News: नकली वीजा बेचकर 300 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई का अनुमान है. तिलक नगर की फैक्ट्री में अब तक 4 से 5 हजार फर्जी वीजा बनाए गए हैं. पुलिस ने छापा मारकर भंडाफोड़ कर दिया.
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Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस ने फर्जी वीजा बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है. नकली वीजा बनाने की फैक्ट्री तिलक नगर इलाके में पिछले 5 साल से चल रही थी. पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार 18 पासपोर्ट, 30 फर्जी वीजा, भारी मात्रा में वीजा बनाने का सामान बरामद किया है. 2 सितंबर को फर्जी वीजा पर सफर करने वाला यात्री पकड़ा गया था. इमिग्रेशन चेकिंग के दौरान पुलिस कुरुक्षेत्र निवासी संदीप को पकड़ने में सफल हुई थी.
पूछताछ में खुलासा हुआ कि और लड़के भी नौकरी के लिए नकली वीजा पर विदेश गये हैं. संदीप ने बताया कि आसिफ अली को 10 लाख रुपये देकर वीजा हासिल किया था. पुलिस ने पुलिस ने आसिफ अली, शिवा गौतम, नवीन राणा को गिरफ्तार किया. आरोपियों ने पूछताछ में एजेंट बलवीर सिंह का नाम बताया.
पुलिस ने बलबीर सिंह और जसविंदर सिंह को गिरफ्तार किया. दोनों ने पुलिस को बताया कि फर्जी वीजा मनोज मोंगा तैयार करता है. तिलक नगर में मनोज मोंगा की फैक्ट्री है. फैक्ट्री में कई देशों के फर्जी वीजा बनाए जाते हैं. पुलिस ने तिलक नगर में छापा मारकर मनोज मोंगा को भी गिरफ्तार कर लिया. मनोज मोंगा ग्राफिक्स डिजाइनिंग में डिप्लोमा होल्डर है.
फर्जी वीजा फैक्ट्री की कैसे हुई थी शुरुआत?
करीब 5 साल पहले जयदीप सिंह नाम के शख्स से मनोज मोंगा की मुलाकात हुई थी. जयदीप ने मनोज को हुनर का इस्तेमाल फर्जी वीजा बनाने में करने की सलाह दी. मनोज जयदीप की सलाह पर तैयार हो गया. जयदीप ने मनोज को फर्जी वीजा बनाने का सामान मुहैया कराया.
पुलिस के मुताबिक आरोपी हर महीने 30 से 60 वीजा तैयार करते थे. महज 20 मिनट में वीजा स्टिकर तैयार हो जाता था. एक वीजा बनाने के लिये 8 लाख रुपये लेते थे. आरोपियों की आपस में बातचीत टेलीग्राम, सिग्नल और वाट्सऐप के जरिये होती थी. पुलिस का कहना है कि सिंडिकेट का हर जगह लोकल एजेंट है. एजेंट विदेश में नौकरी की चाहत रखने वाले लोगों से संपर्क करते थे.
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