Delhi Children Rescue: दिल्ली के बवाना, करमपुरा, सरस्वती विहार इलाके से अलग-अलग फैक्ट्री में काम करने वाले 48 नाबालिग बच्चों को रेस्क्यू किया गया है. सहयोग केयर एनजीओ और स्थानीय जिला प्रशासन और दिल्ली पुलिस के सहयोग से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, और इस इलाके में तार बनाने वाली, बोतल पॉलिशिंग, पंखे बनाने वाली, खिलौने बनाने वाली जैसी अलग-अलग फैक्टरियों में बाल मजदूरी कर रहे इन 48 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है.


रेस्क्यू किए गए सभी 48 बच्चे नाबालिक हैं जिनकी उम्र 9 से 15 वर्ष तक है जिसमें 40 से लड़के और 8 लड़कियां शामिल हैं जानकारी के मुताबिक इन सभी बच्चों से अलग-अलग फैक्ट्री में 15- 15 घंटे काम करवाया जा रहा था जिसके लिए उन्हें रोजाना 50 या 100 रुपये भुगतान किया जाता था, यह बच्चे बेहद ही दयनीय हालत में काम कर रहे थे जिसकी सूचना सहयोग केयर एनजीओ को मिली जिसके बाद बच्चों को रेस्क्यू करने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस के साथ मिलकर यह योजना बनाई गई.


सहयोग केयर एनजीओ के डायरेक्टर शेखर महाजन ने बताया कि इस ऑपरेशन में एसडीएम रामपुरा, सरस्वती विहार चंद्रशेखर, तहसीलदार प्रेमचंद्र और दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर इन बच्चों को छुड़ाया गया. बच्चों को रेस्क्यू करने के बाद उनकी मेडिकल जांच की गई और फिर बाल कल्याण समिति सेवा कुटीर के आदेश के बाद चाइल्ड केयर होम में भेज दिया गया. इस कार्रवाई के बाद मौके पर ही 10 फैक्ट्रियों को सील कर दिया गया है इसके साथ ही उन फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने बच्चों को काम पर रखा और इस तरीके से बहरी बुरी हालत में उनसे काम करवाया. सहयोग केयर एनजीओ ने सरकार और प्रशासन से ऐसे फैक्ट्री मालिकों और लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है.


फैक्ट्रियों में करते थे बाल मजदूरी


सहयोग केयर की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक बच्चे दिन में 15-15 घंटे काम कर रहे थे जिनके लिए मात्र उन्हें 50 से 100 रुपये प्रति दन दिए जाते थे बच्चों की उम्र 9 से 15 साल तक की है जिन से बाल मजदूरी करवाई जा रही थी, इससे पहले भी सहयोग केयर एनजीओ द्वारा एसडीएम पटेल नगर और तहसीलदार चंदन रावत और दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर 6 अप्रैल 2022 को खायला में फैक्ट्रियों से 78 बच्चों को छुड़ाया गया था.


करमपुरा में एक खिलौने की फैक्ट्री में काम करने वाले 15 साल के बच्चे ने बताया कि वह झारखंड से है और 4 महीने पहले दिल्ली आया था. वह फैक्ट्री में सुबह 9:00 बजे से रात के 2:00 बजे तक काम करता था, रोजाना 14 घंटे फैक्ट्री में उस से काम करवाया जाता था, उसके माता-पिता झारखंड में है और वह अपने एक अंकल के साथ दिल्ली आया था, उसके परिवार की हालत बेहद खराब है इसीलिए वह मजबूरन इस फैक्ट्री में काम कर रहा था.


वह हर महीने 4.5 हज़ार जोड़कर अपने गांव भेजता था हर महीने उसे यही तनख्वा मिलती थी इसके अलावा करीब 14 साल के एक बच्चे ने बताया कि वह करमपुरा में चप्पल बनाने वाली फैक्ट्री में काम करता था और 6 महीने पहले दिल्ली आया था और उससे फैक्ट्री में 12 घंटे काम करवाया जाता था सुबह 9:00 बजे से रात 10:00 बजे तक काम करता था जिसके लिए उसे केवल 3000 रुपये हर महीने दिए जाते थे.


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एनजीओ की मदद से 126 बच्चों का किया रेस्कयू


पिछले 2 महीने में सहयोग केयर एनजीओ द्वारा 126 बच्चों को बाल मजदूरी से छुड़ाया गया है, जो कि बेहद ही खराब स्थिति में काम कर रहे थे, इन बच्चों के पास बुनियादी सुविधाएं ही नहीं थी, जिसकी सूचना सहयोग केयर एनजीओ को मिली और उसके बाद स्थानीय जिला प्रशासन और दिल्ली पुलिस के सहयोग से इन बच्चों को छुड़ाया गया.


सहयोग केयर एनजीओ के डायरेक्टर ने कहा कि हम सभी जानते हैं, कि बच्चों से बाल मजदूरी कराना सरासर गलत है गैरकानूनी है बावजूद इसके बच्चे अलग-अलग जगहों पर काम करते हुए पाए जाते हैं, जिससे हम उनका बचपन उनसे छीन रहे हैं नियमित तौर पर जहां बच्चों को स्कूल जाना चाहिए, वहां उन पर इस तरीके से काम का बोझ मानसिक दबाव बना देते हैं जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है.


 उन्होंने कहा कि आखिरकार कब तक हम अपने बच्चों को इस तरीके से धोखे में डालते रहेंगे उनके भविष्य से खिलवाड़ करते रहेंगे? और एक देश तभी विकास करता है जब उस देश में मौजूद बच्चे पढ़ते लिखते हैं, कामयाब होते हैं कई बार परिवार में आर्थिक समस्याओं के कारण बच्चे बाल मजदूरी की ओर बढ़ जाते हैं, इसके लिए सहयोग केयर एनजीओ बच्चों की मदद के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और ऐसे बच्चों को ढूंढा जा रहा है.   


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