Delhi News: संसद द्वारा भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य बिल पास होने के बाद अब उस पर अमल करने के लिए पुलिसकर्मियों ट्रेनिंग देने की योजना अंमित चरण में है. इस दिशा में दिल्ली पुलिस ने पहल करते हुए अपने 8800 जवानों को 30 मार्च तक ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा है. इन जवानों को ट्रेनिंग देने के लिए चार सेंटर बनाए गए हैं. सभी सेंटरों पर एक-एक बैच में 300 पुलिसकर्मी शामिल होंगे. 


नये आपराधिक कानूनों के बारे में जरूरी जानकारी देने की जिम्मेदारी स्पेशल सीपी ट्रेनिंग छाया शर्मा को सौंपी गई है. उन्होंने ने कहा, "हमने उन पुलिस स्टेशनों की पहचान की है, जहां अपराध से संबंधित जांच चल रही है. ऐसे लोगों को चिन्हित करने के बाद उनके बैच बनाए गए हैं. हर पुलिस स्टेशन से 24 जवानों का एक बैच बनाया गया है. 30 मार्च 2024 तक हमने  8800 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य तय किया है.


 






कहां-कहां बनाए गए प्रशिक्षण केंद्र


छाया शर्मा के मुताबिक, "ट्रेनिंग कार्यक्रम में थाने के इंस्पेक्टर (एसएचओ),  इंस्पेक्टर इन्वेस्टीगेशन, दो टीएनएस आपरेटर्स, चार या पांच एसआई, एएसआई और हेड कांस्टेबल को शामिल किया गया है. हर थाने से चयनित पुलिसकर्मियों को पांच हफ्तों के दौरान ट्रेनिंग दिया जाएगा. तीन हफ्ते उन लोगों के लिए रखे हैं जो बच जाएंगे. 30 मार्च तक 1100 के बैचेज में पुलिसकर्मियों को ट्रेन किया जाएगा." दिल्ली पुलिस के जवानों को ट्रेनिंग देने के लिए मेन ट्रेनिंग एकेडमी से अलग मल्टी ट्रेनिंग हॉल की व्यवस्था है. हर ट्रेनिंग हॉल की क्षमता 250 से 300 लोगों को शामिल करने की है. नये क्रिमिनल लॉ के बारे में जानकारी देने के लिए बाराखंभा रोड, द्वारका, झड़ौदा, वजीराबाद में ट्रेनिंग सेंटर बनाए गए हैं. हर बैच में दिल्ली पुलिस के 1100 लोगों को शामिल किया गया है. ट्रेनिंग में शामिल पुलिसकर्मियों के लिए अलग-अलग सेंटर्स आवंटित कर दिए गए हैं. सभी जवान लगातार पांच दिनों तक ट्रेनिंग लेंगे. ट्रेनिंग में शामिल सभी को जवानों को बीएनएसएस, बीएनएस और साक्ष्य अधिनियम कानूनों से संबंधित किताबें दी जाएंगी. इसके अलावा, उन्हें एक बुकलेट भी दिए जाएंगे जिसमें रोजमर्रा पुलिसिंग में यूज करने के लिए जरूरी कायदे-कानूनों के बारे में जानकारी शामिल हैं. 


ये है ट्रेंनिंग का मकसद


छाया शर्मा के मुताबिक, "ट्रेनिंग का मकसद दिल्ली पुलिस के जवानों को नये क्रिमिनल लॉ से रूबरू कराना है, ताकि उस पर तेजी से अमल करना संभव हो सके. नये कानूनों में जो बदलाव किए गए हैं, उसके हिसाब से पुलिसकर्मी काम करें. कानूनी बदलावों को समझें और उसी के अनुरूप काम करें. इसके लिए अलग से दो सेशन रखा गया है. ट्रेनिंग देने के बाद सभी की क्षमताओं को मूल्यांकन करने के लिए अलग से टेस्ट भी लिए जाएंगे. ताकि दिल्ली पुलिस अपने जवानों की दक्षता और क्षमता का आकलन लगा सके. साथ ही फीडबैक हासिल किया जाएगा कि दिल्ली पुलिसकर्मियों को और किन-किन जानकारियों की जरूरत है. वो नये कानूनों के अनुरूप काम करने के लिए और क्या-क्या चाहते हैं. इसके पीछे, एक मकसद यह जानना है कि पुलिसकर्मी नये कानूना पर और क्या क्या चाहते हैं. ताकि उन पहलुओं को आगामी ट्रेनिंक कार्यक्रमों में शामिल किया जा सके."


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