Delhi News: 'अंकल मेरे पापा का एक्सीडेंट हो गया है, मुझे उनके इलाज के लिए तत्काल पैसों की जरूरत है! अगर कोई लड़की आपको इस तरह कॉल कर खुद को जानकर की बेटी होने की बात करे और आर्थिक सहायता की मांग करे तो आप संभवत: तुरंत उसकी मदद को तैयार हो जाएं. लेकिन आपको ऐसा करने से पहले कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है. अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आप साइबर ठगी के शिकार हो सकते हैं. दरअसल, साइबर ठग आजकल मैजिक कॉल एप से आवाज बदलकर ठगी की वारदातों को अंजाम से रहे हैं.
ठगी के ऐसे ही मामले का खुलासा दक्षिणी जिला की साइबर पुलिस ने किया है, जिसमें ठगों ने एक वरिष्ठ नागरिक को लड़की की आवाज में कॉल कर अलग-अलग बहाने से कई मौकों पर लाखों की ठगी को अंजाम दे डाला. जब बुजुर्ग को ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने इसकी शिकायत जिले की साइबर पुलिस को दी. इस मामले में पुलिस ने बिहार से एक नाबालिग समेत कुल 5 ठगों को दबोचा है. जिनके कब्जे से 1,78,500 रुपये कैश, कई कार्ड, चेकबुक और मोबाइल बरामद हुआ. जबकि आरोपियों दो बैंक खातों में साढ़े 4 लाख रुपये फ्रीज कर दिया है.
लड़की की आवाज में कॉल कर मांगी मदद
डीसीपी चंदन चौधरी के अनुसार साइबर पुलिस को दी गई शिकायत में बुजुर्ग शिकायतकर्ता ने बताया कि उनके पास एक लड़की की कॉल आई थी, जिसने उनसे कहा कि उसका नाम आरोही झा है और वह उनके करीबी सहयोगी की बेटी है. उसने बुजुर्ग से कहा कि उसकी मां बहुत बीमार है और बिहार के एक हॉस्पिटल में एडमिट है. उसे उनके इलाज के लिए पैसों की आवश्यकता है. जिस पर बुजुर्ग ने उस लड़की के बताए गए बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए. कुछ दिनों बाद उसने फिर से कॉल किया और कहा कि उसकी मां का देहांत हो गया है और उसे उनके क्रिया-कर्म के लिए पैसों की जरूरत है. इस बार भी उन्होंने उसे पैसे भेज दिये. दूसरी तरफ बुजुर्ग व्यक्ति को आसानी से शिकार बनता देख ठगों ने तीसरी बार भी उसी लड़की की आवाज में फोन किया और कहा कि उसका एक्सीडेंट हो गया है. वह न्यूरो हॉस्पिटल में एडमिट है. उसे इलाज के लिए पैसों की तत्काल आवश्यकता है. इस बार भी पीड़ित ने पैसे ट्रांसफर कर दिए. जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने इसकी शिकायत साइबर पुलिस को दी.
अलग-अलग बहानों से ठगे लाखों रुपये
मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर थाना में मामला दर्ज कर एसएचओ अरुण कुमार वर्मा की देखरेख में एसआई संदीप सैनी, एएसआई जितेंद्र कौशल विकास, प्रवीण, राज कुमार और अनिल की टीम का गठन कर मामले की छानबीन में लगाया गया. पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस से मामले की जांच शुरू की जिससे इस ठगी की परत दर परत खुलती चली गई. जांच के दौरान पुलिस ने उस बैंक एकाउंट का पता लगाया जिसमें ठगी की रकम को मंगवाया गया था. पुलिस ने उस एकाउंट की पूरी डिटेल निकालवाई और उससे संबंधित मोबाइल नंबर का भी पता लगाया. जिसमें उन्हें ठगी की रकम को चार अलग-अलग बैंक एकाउंट में मंगाने की जानकारी मिली. जिनमें दो सुमन कुमार जबकि एक आशीष के नाम पर होने का पता चला.
सुपौल जेल से दो आरोपियों को दबोचा
जब पुलिस ने दोनों एकाउन्ट होल्डर के बारे में जानकारी निकली तो उनके सुपौल, बिहार के जेल में NDPS एक्ट में बंद होने का पता चला. जिस पर पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट पर दोनों को अपने कब्जे में ले लिया. इनके अलावा, पुलिस ने विवेक कुमार, अभिषेक कुमार और एक नाबालिग को दबोचने में कमायाबी पाई है.
11 करोड़ की ठगी का खुलासा
पूछताछ में आरोपी सुमन कुमार ने पुलिस को बताया कि वह अपने साथी आशीष कुमार के साथ मिलकर लंबे समय से इस तरह से वारदात को अंजाम देते आये हैं. गैंग के सदस्य अभी तक अलग-अलग लोगों से 11 करोड़ की ठगी कर चुके हैं. फेसबुक के जरिए अपने शिकार की जानकारी इकट्ठा करते थे और फिर मैजिक कॉल ऐप के जरिए आवाज बदल कर लड़की की आवाज में बात करते थे. फिर व्यापार एप से हॉस्पिटल का फर्जी इनवॉइस बनाते थे और उसके बाद हॉस्पिटल का बहाना बनाकर लोगों से पैसे मंगाते थे. इस मामले में पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की छानबीन में जुटी हुई है.
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