Delhi News: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली की राजनीति में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि आखिर 15 साल तक दिल्ली की राजनीति में एकाधिकार रखने वाली पार्टी वर्तमान में सियासी तौर से सक्रिय क्यों नहीं हैं? आखिर कांग्रेस की रणनीति क्या है. जबकि एमसीडी चुनावों में इस बात के संकेत मिले हैं कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के परंपरागत मतदाता घर वापसी कर सकते हैं. यानी दिल्ली कांग्रेस के परंपरागत मतदाता उनका समर्थन फिर से कर सकते हैं.
दरअसल, एमसीडी चुनाव में 2022 कांग्रेस को दो विधानसभा चुनाव में शून्य सीट मिलने के बाद निगम चुनाव में नौ सीट मिले हैं. वो भी कांग्रेस परंपरागत गढ़ मुस्लिम बहुल इलाकों में, जहां पर कांग्रेस के बाद से AAP6778 की पकड़ है. एमसीडी चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में 11.68 फीसदी मतदाताओं ने पार्टी के पक्ष में वोट किया था, जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली के केवल 4.26 प्रतिशत मतदाताओं ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था.
कहीं कांग्रेस की चुप्पी के सियासी मायने ये तो नहीं
दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस निष्क्रिय क्यों हैं, इसको लेकर सही-सही जवाब देने की स्थिति में कोई नहीं है. ऐसा इसलिए कि कांग्रेस का एक गुट यानी वर्तमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी गुट अभी भी काफी सक्रिय है. पिछले कुछ समय से एक बार पूर्व सीएम शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित भी सक्रिय हो गए हैं. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी ने दिल्ली सरकार के खिलाफ साल 2022 में मुहिम भी चलाई थी. इसके बावजूद कांग्रेस का दूसरा गुट मौन है.
यहीं वो वजह है जिसकी वजह से कांग्रेस पर सवाल उठाए जा रहे हैं. दूसरी वजह यह है कि एमसीडी मेयर चुनाव के दौरान कांग्रेस ने AAP का साथ नहीं दिया. कांग्रेस पार्टी ने वोटिंग से खुद को बाहर रखा. इसके अलावा, बीजेपी के सहयोग से कांग्रेस नेता का दिल्ली वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनना भी AAP के लिए चैंकाने वाला रहा. इस घटना के बाद से इस बात की चर्चा हो रही है कि कांग्रेस ने अब AAP से दूरी बना ली है. फिर, कांग्रेस नेता दिल्ली में कई मुद्दों पर आम आदमी पार्टी सरकार का खुलकर विरोध करने लगे हैं. इन घटनाओं से साफ है कि कांग्रेस अब केवल विपक्ष एकता के नाम पर दिल्ली में AAP का समर्थन नहीं करेगी.
खुलकर सामने क्यों नहीं आ रही कांग्रेस?
इसके बावजूद दिल्ली की राजनीति में बीजेपी की तुलना में कम आक्रामक होने और खुलकर किसी पक्ष में नहीं जाने को लेकर कयासबाजी का दौर जारी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पार्टी बीजेपी और AAP की सियासी राजनीति में उलझने के बदले शांतिपूर्ण तरीके से अपने मतदाताओं तक पहुंचने में जुटी है. कांग्रेस का तटस्थ होकर आगे बढ़ना उसे लाभ की स्थिति में ला सकता है. ऐसा इसलिए कि अभी तक के संकेतों के मुताबिक AAP के समर्थक खुलकर बीजेपी के पक्ष में आने को तैयार नहीं है. यहां पर अहम सवाल यह है कि तो फिर कांग्रेस खुलकर इसका लाभ क्यों नहीं उठा रही है. इसका जवाब यह है कि कांग्रेस भी बीजेपी की तरह आंतरिक कल से सत्ता से दूर होने के बाद भी उबर नहीं पाई है.
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