Delhi Anti Dust Campaign: हर साल सर्दियों के दौरान बढ़ते धूल प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने शनिवार को शहर की ‘शीतकालीन कार्य योजना’ के हिस्से के रूप में एक व्यापक 14-सूत्री निर्माण दिशानिर्देश जारी किए. उन्होंने कहा कि नियमों का उद्देश्य निर्माण स्थलों से होने वाले धूल प्रदूषण से निपटना है, जो शहर की वायु गुणवत्ता में गिरावट का प्रमुख कारण है.


दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, “हमने दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो पिछले नौ वर्षों में 34.6 प्रतिशत कम हुआ है.”






विंटर प्लान गाइडलाइंस में क्या है?



  • सर्दियों के दौरान हालांकि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, जिसका मुख्य कारण निर्माण गतिविधियों से निकलने वाली धूल है. उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को घोषित हमारी शीतकालीन कार्य योजना, चिंता के 21 क्षेत्रों पर केंद्रित है, जिसमें धूल रोधी अभियान एक प्रमुख घटक है.

  • योजना के 14 बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए राय ने कहा कि 500 ​​वर्ग मीटर से अधिक के निर्माण स्थलों को अब निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा, जहां पर्यावरण मानदंडों के अनुपालन की सख्त निगरानी की जाएगी.

  • उन्होंने कहा कि दिशानिर्देशों का पालन न करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा, जबकि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए अनुकरणीय परियोजनाओं को ‘हरित रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.

  • नियमों के अनुसार सभी निर्माण स्थलों को टिन की चादरों से ढंकना अनिवार्य है. ताकि धूल को आसपास फैलने से रोका जा सके.

  • गोपाल राय ने अपने संवाददाता सम्मेलन के दौरान इस बात पर जोर दिया कि, “किसी भी तरह के निर्माण कार्य में शामिल लोगों को, चाहे वह निजी, सरकारी या कंपनी द्वारा संचालित हो, इन नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए.”

  • सभी निर्माण क्षेत्रों को टिन की चादरों से घेरना होगा, निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों के टायर साफ होने चाहिए तथा रेत और बजरी जैसी सामग्री को ढकना होगा ताकि धूल सड़कों पर न फैले.

  • उन्होंने कहा कि धूल को नियंत्रित करने के लिए निर्माण स्थलों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव अनिवार्य है. श्रमिकों को हर समय धूल से बचाव के लिए मास्क और स्वास्थ्य किट उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

  • दिल्ली सरकार ने अनुपालन की निगरानी के लिए सात अक्टूबर से एक महीने के लिए धूल रोधी अभियान चलाएगी. इसकी निगरानी के लिए 13 विभागों की 523 टीमें भी तैनात की हैं. उन्होंने कहा कि ये टीमें चौबीसों घंटे निर्माण स्थलों का निरीक्षण करेंगी और सुनिश्चित करेंगी कि धूल प्रदूषण को रोकने के लिए नए मानदंडों का पालन किया जा रहा है.

  • ये टीमें चौबीसों घंटे कार्यरत रहेंगी और पर्यावरण विभाग तथा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी.

  • उन्होंने कहा कि राजधानी में प्रदूषण से निपटने के लिए शीतकालीन कार्य योजना के तहत धूल रोधी अभियान सात अक्टूबर से सात नवंबर तक चलेगा.

  • दिशा-निर्देशों में बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन की अनिवार्य स्थापना, धूल को रोकने के लिए सामग्री को ढंकना और नियमित रूप से पानी का छिड़काव करना शामिल है.

  • उल्लंघन के परिणामस्वरूप परियोजना के पैमाने के आधार पर प्रति दिन 7,500 रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. साइट निरीक्षण के अलावा, सरकार पूरे शहर में 85 मैकेनिकल रोड स्वीपिंग (एमआरएस) मशीनें और 500 पानी का छिड़काव करने वाले उपकरण तैनात करेगी.

  • नवंबर में, दिल्ली की सड़कों पर प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 200 सचल एंटी-स्मॉग गन का संचालन किया जाएगा, जो तीन पालियों में काम करेंगी.

  • उन्होंने बताया कि नियमों का उल्लंघन करने पर लगेगा जुर्माना. सीएंडडी पोर्टल पर पंजीकरण न कराने पर 20,000 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाली निर्माण परियोजनाओं पर एक लाख रुपये तथा 20,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाली निर्माण परियोजनाओं पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

  • एंटी-स्मॉग गन न लगाने पर प्रतिदिन 7,500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

  • निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण उपाय न करने पर 500 वर्ग मीटर से कम क्षेत्रफल वाली निर्माण परियोजनाओं पर 7,500 रुपये प्रतिदिन तथा इससे अधिक क्षेत्रफल वाली निर्माण परियोजनाओं पर 15,000 रुपये प्रतिदिन का जुर्माना लगाया जाएगा.

  • निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों को ढंकना जरूरी है. इसका उल्लंघन करने पर 7,500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. 


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