CM Arvind Kejriwal On Premium Bus: दिल्ली सरकार (Delhi Government) अपने पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर में बदलाव लाने जा रही है. विकसित देशों की तरह ही दिल्ली में रहने वाले लोग भी आने वाले दिनों में लग्जरी बसों में सफर कर पाएंगे. कारों में चलने वाले आर्थिक रूप से सक्षम लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर शिफ्ट करने के उद्देश्य से यह स्कीम लाई जा रही है. दिल्ली सरकार के मुताबिक भारत में यह पहली बार होगा, जब दिल्ली की सड़कों पर लग्जरी प्रीमियम बसें दौड़ेंगी. इन बसों में ऐप या वेब से ही टिकट की बुकिंग होगी और सभी को सीट मिलेगी.


इस स्कीम में खास बात यह है कि बसों को चलाने के लिए रूट का निर्धारण सरकार नहीं करेगी, बल्कि ट्रैफिक के अनुसार एग्रीगेटर खुद बसों का रूट तय करेगा, लेकिन दिल्ली सरकार को इसकी सूचना देनी होगी. एग्रीगेटर ही मार्केट के अनुसार प्रीमियम बसों का किराया तय करेगा. दिल्ली सरकार की एक ही शर्त है कि डीटीसी के किराए से प्रीमियम बस का किराया अधिक होना चाहिए.


मंजूरी के लिए भेजा जाएगा एलजी के पास 


दिल्ली सरकार ने स्कीम को अंतिम रूप दे दिया है और अब इसे मंजूरी के लिए एलजी के पास भेजा जा रहा है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को प्रीमियम बस योजना के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में ट्रैफिक बहुत ज्यादा है, क्योंकि निजी वाहन ज्यादा हैं. अगर कार और स्कूटर पर सफर करने वाले लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ले जाना है तो हमें इसे आरामदायक, सुरक्षित और इसकी टाइमिंग सुनिश्चित करनी होगी.


'सड़कों पर ट्रैफिक काफी बढ़ा'


सीएम केजरीवाल ने कहा कि मीडिल और अपर मीडिल क्लास ने अपनी गाड़ियां छोड़ कर मेट्रो से जाना शुरू किया था. इससे दिल्ली की सड़कों पर काफी वाहनों की कमी आई थी, लेकिन धीरे-धीरे दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक काफी बढ़ गया है. मेट्रो खचाखच भर गई हैं, लोगों को बैठने की जगह नहीं मिलती है और सफर आरामदायक नहीं है. इसलिए काफी लोग वापस अपनी गाड़ियों से सफर करने लगे हैं.


एग्रीगेटर को दिया जाएगा 5 साल के लिए लाइसेंस 


मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में डीटीसी और क्लस्टर्स की बसें हैं. इन बसों को अधिकतर लोअर मीडिल क्लास के लोग इस्तेमाल करते हैं. दिल्ली में एसी बसें भी हैं, लेकिन उसमें सीट की कोई गारंटी नहीं है. इन बसों में सफर उतना आरामदायक नहीं है, जो अपर मीडिल क्लास और मीडिल क्लास उम्मीद करता है. ये प्रीमियम बसें केवल दिल्ली में संचालित होंगी. हर बस में 12 से अधिक सवारियों को बैठने की क्षमता होगी. इसके लिए एग्रीगेटर को 5 साल के लिए लाइसेंस दिया जाएगा.


लाइसेंस लेने के लिए देने होंगे 5 लाख रुपये


केजरीवाल ने कहा कि सरकार ने लाइसेंस फी भी तय कर दी है. इसके तहत नया लाइसेंस लेने के लिए 5 लाख रुपये देने होंगे. लाइसेंस का नवीनीकरण, डुप्लीकेट लाइसेंस लेने और एड्रेस चेंज कराने पर 2500 रुपये बतौर शुल्क देने होंगे, जबकि इलेक्ट्रिक बस लाने वाले एग्रीगेटर को लाइसेंस फीस नहीं देनी होगी. वहीं, एग्रीग्रेटर को लाइसेंस लेने के लिए सिक्युरिटी भी जमा करनी होगी. अगर एग्रीगेटर 100 बस लाना चाहता है तो इसके लिए एक लाख रुपए बतौर सिक्युरिटी जमा करना होगा. इसी तरह, 1000 तब बसें लाने पर 2.50 लाख रुपये और 1000 से अधिक बसें लाने पर 5 लाख रुपये जमा करने होंगे.


फीडबैक के आधार पर होंगे आवश्यक बदलाव


सीएम ने इन बसों की लाइसेंसिंग शर्तों के बारे में बताया कि इसमें तीन साल से पुरानी बस को अनुमति नहीं दी जाएगी. 1 जनवरी 2024 के बाद जो भी बस खरीदी जाएगी, वो सभी इलेक्ट्रिक ही होंगी. सीएम ने बताया कि एलजी से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली की जनता का फीडबैक लेने के लिए स्कीम को वेबसाइट पर डालेंगे. फीडबैक के आधार आवश्यक बदलाव किए जाएंगे.


एक बस के बराबर होंगी 10 कारें


एग्रीग्रेटर के पास सार्वजनिक या साझा परिवहन में वाहनों के संचालन और प्रबंधन का कम से कम 3 साल का अनुभव होना चाहिए. हर साल कम से कम 100 बसें लानी होगी या हर साल कम से कम 1000 यात्री कारों का बेड़ा लाना होगा. एग्रीगेटर कार और बसों का मिश्रित बेड़ा भी ला सकता है. 10 कारें एक बस के बराबर होंगी. एक अनुबंध कैरिज परमिट होना चाहिए. एग्रीगेटर लाइसेंस मिलने के 90 दिनों के अंदर कम से कम 50 प्रीमियम बसों का संचालन और रखरखाव करेगा.


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