Delhi: प्रॉपर्टी टैक्स जमा न करने वालों के खिलाफ MCD के एक्शन की तैयारी, हो सकती है जेल
Delhi Property Tax: दिल्ली नगर निगम के अधीन आने वाली जिन संपत्तियों का टैक्स वसूला नहीं गया है उस पर अब कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है. ऐसे लोगों को नोटिस भेजने के लिए चिह्नित किया जा रहा है.
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Delhi News: अगर आप दिल्ली नगर निगम (MCD) क्षेत्र के वासी हैं और आप ने लंबे समय से संपत्ति कर का भुगतान नहीं किया है तो ये खबर आपके लिए ही है. अगर आपने जल्दी ही अपने संपत्ति कर (Property Tax) का भुगतान नहीं किया तो आपको जेल (Jail) तक जाना पड़ सकता है. एमसीडी बकायेदारों से वसूली के लिए सख्त रवैया अपनाने जा रही है.
क्या कहता है निगम का एक्ट
सबसे पहले आपको बता दें कि एमसीडी की आय का सबसे बड़ा स्रोत संपत्ति कर है. निगम को अब तक दो हजार करोड़ रुपये सालाना संपत्ति कर के रूप में प्राप्त होते हैं, जिसे निगम ने तीन हजार करोड़ करने का लक्ष्य रखा है. दअरसल, राजधानी दिल्ली में 12 लाख संपत्ति मालिक हैं, जिनमें से महज 5 लाख संपत्ति मालिक कर का भुगतान करते हैं. जिसे बढ़ाने की कवायद में निगम ने संपत्ति मालिकों को नोटिस देना शुरू किया था. इस कड़ी में अगला कदम उठाते हुए निगम ने संपत्ति मालिकों की संपत्ति से उनके बैंक खातों को अटैच किया था.
कर बकायेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी में निगम
लेकिन अब इससे आगे बढ़ते हुए निगम कर बकायेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने का मन बना चुकी है. दिल्ली नगर निगम के कर एवं समाहर्ता कुणाल कश्यप के आदेश के अनुसार संपत्ति कर कम जमा किया जा रहा है, बकायेदारों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है. इसे देखते हुए एमसीडी ने दिल्ली नगर निगम एक्ट के अनुच्छेद 152 के तहत मुकदमा दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए सभी क्षेत्रीय अधिकारियों को ऐसी संपत्तियों को चिह्नित करने के आदेश दिए गए हैं.
25 लाख से अधिक के बकाए पर होगा मुकदमा
निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वैसे तो अनुच्छेद 152 A में 10 लाख से अधिक संपत्ति कर बकाया होने पर मुकदमा दायर करने का प्रावधान है, लेकिन चरणबद्ध तरीके से बड़े बकायेदारों को पकड़ने के लिए निगम 25 लाख से अधिक का बकाया होने पर मुकदमा दायर करेगी. उन्होंने बताया यह मुकदमे संबंधित जिला अदालतों में दायर किए जाएंगे. अधिकारियों के अनुसार ऐसे बकायेदारों की सूची तैयार की जा रही है.
क्या कहता है एमसीडी एक्ट
एमसीडी एक्ट का अनुच्छेद 152 A के तहत, कर चोरी की राशि दस लाख रुपये से अधिक होने पर इसमें बकायेदार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. जिसके तहत बकायेदार को तीन माह से लेकर अधिकतम सात साल कारावास की सजा हो सकती है, साथ ही कर चोरी का 50 प्रतिशत जुर्माने का भी प्रावधान है.
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