Delhi G20 Summit News: भारत में इस साल पहली बार G-20 सम्मेलन होने जा रहा है, जिसका आयोजन सितंबर महीने की 9 से 10 तारीख को होना है. इससे पहले G-20 से संबंधित कई बैठकें और कार्यक्रम भी होने हैं, जिसकी तैयारी के लिए पिछले साल से ही जोरशोर से तैयारियां जारी हैं. इतने बड़े स्तर पर तैयारी के बाद भी बारिश एक ऐसा फैक्टर है, जो इस सम्मेलन के दौरान भारत की तैयारियों पर पानी फेर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो यह भारत की छवि धूमिल करने जैसा होगा. दरअसल, भारत में मॉनसून की बारिश के बाद अगस्त-सितंबर महीने तक बारिश होती रहती है. फिर, दिल्ली में बारिश के बाद वाटर लॉगिंग का दशकों पुराना इतिहास रहा है.


हालांकि, जी-20 सम्मेलन के दौरान वाटर लॉगिंग की समस्या ना उभरे इसके लिए अभी से ही तमाम तैयारियां की जा रही हैं. यही वजह है कि संबंधित विभाग दिल्ली को चमकाने के साथ इस पर भी ध्यान दे रहा है कि बारिश के बाद दिल्ली में वाटर लॉगिंग की समस्या उभरकर सामने न आए. बता दें कि G-20 सम्मेलन के लिए 927 करोड़ की लागत से दिल्ली को चमकाने और बनाने की कवायद चल रही है. पीडब्ल्यूडी करीब 450 करोड़ रुपए की लागत से सड़कों, फुटपाथों, स्ट्रीट लाइटों, फ्लाइओवरों, फुटओवर ब्रिजों को ठीक करने में लगी हुई है. करीब 250 करोड़ से एमसीडी सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने में जुटी हुई है. कई अन्य सरकारी एजेंसियां भी अपने बजट के अनुसार तैयारियों में जुटी हुई हैं. 


नई नहीं है दिल्ली में वाटर लॉगिंग की समस्या 


जी-20 सम्मेलन से पहले दिल्ली में 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी बारिश ने भारत की सारी तैयारियों पर पानी फेर दिया था. इस बात को ध्यान में रखते हुए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने सर्वे कर वाटर लॉगिंग वाले हॉटस्पॉट्स की मैपिंग की है. खासकर ऐसी जगहों को चिन्हित किया गया है, जहां पिछले 4 सालों के दौरान बारिश के बाद लगातार वॉटरलॉगिंग की समस्या से लोग रूबरू होते रहे हैं. साथ ही उन 10 जगहों की भी पहचान की गई है, जहां सबसे ज्यादा वाटर लॉगिंग होती है.


LG और MHA को भेजी रिपोर्ट 


इसको लेकर तैयार सर्वे रिपोर्ट को दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने दिल्ली के उराज्यपाल और गृह मंत्रालय को भेजी है. साथ ही सभी सिविक एजेंसियों को उन जगहों पर वाटर लॉगिंग होने से रोकने की पहल के निर्देश दिए गए हैं, जिससे 9 और 10 सितंबर को होने वाली जी-20 सम्मेलन और उससे ठीक पहले 3 से 9 सितंबर के बीच प्रस्तावित अन्य महत्वपूर्ण बैठक के दौरान समय अगर बारिश होती है, तो भी सड़कों पर वॉटरलॉगिंग ना हो. वहीं एमसीडी, पीडब्ल्यूडी और जल बोर्ड को निर्देश दिया गया है कि छोटे-बड़े सभी नाली और सीवर लाइनों को साफ रखें. हर स्तर पर पानी की पाईपलाईनों से लीकेज को रोकने का भी निर्देश दिया गया है. ताकि दिल्ली की सड़कों पर पानी जमा ना हो पाए.


वाटर लॉगिंग बड़ी चुनौती 


जी-20 समिट के दौरान वीआईपी मूवमेंट मुख्य रूप से नई दिल्ली में ही होगा. इसे देखते हुए एनडीएमसी को भी आगाह किया गया है कि वे इस समस्या को दूर करने के लिए पहले से तैयारी करके रखें. हालांकि, इस सम्मेलन के मद्देनजर एमसीडी ने पहले से ही 01 मई से 15 सितंबर तक रोड कटिंग पर रोक दिया है. कई जगह फ्लाईओवर और मेट्रो के प्रोजेक्ट्स पर भी काम चल रहा है. ऐसे में कंस्ट्रक्शन साईट्स के आसपास वाटर लॉगिंग की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिस पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है.


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