उचित मूल्य की दुकान के मालिकों को दिल्ली सरकार की तरफ से अनाज या आटे की आपूर्ति बंद नहीं करने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई 15 नवंबर के लिए स्थगित कर दी. केंद्र सरकार का आरोप है कि आम आदमी पार्टी की सरकार एक समानांतर वितरण योजना चलाना चाहती है. न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि उन्हें मात्र आधे घंटे पहले दो सौ पन्नों का विवरण दिया गया है और वह तत्काल उन पर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते. इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई टाल दी.


तुषार मेहता ने कहा, “जो कुछ भी हो रहा है वह कानून के विपरीत है.” दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने कहा कि कथित अवैध कार्रवाई हाई कोर्ट के सामने अंतिम फैसले के लिए सूचीबद्ध है.


केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट ने उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिए बगैर ही 22 मार्च का अपना आदेश पलट दिया और दिल्ली सरकार को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत उचित मूल्य की दुकानों को अनाज की आपूर्ति बंद करने की अनुमति दी.


हाई कोर्ट ने 22 मार्च को अपने आदेश में दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ के क्रियान्वयन के दौरान वर्तमान सार्वजनिक वितरण योजना (पीडीएस) के वितरकों को आपूर्ति बंद नहीं करे. केंद्र ने याचिका में कहा कि इस आदेश को 27 सितंबर को पलटते हुए हाई कोर्ट ने इसका संज्ञान नहीं लिया कि दिल्ली सरकार की उक्त योजना समानांतर वितरण प्रणाली चलाने का प्रयास है और इससे एनएफएसए 2013 के लाभार्थी प्रभावित होंगे.


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