Delhi: दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SDMC) के महापौर मुकेश सूर्यन ने पिछले दो दिनों में नवरात्रों के दौरान मांस की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने के एकतरफा प्रयास से पूरी तरह से भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है. महापौर जहां पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने और जुर्माना लगाने की चेतावनी पर अड़े हुए हैं, वहीं एसडीएमसी के प्रेस और सूचना विभाग के अधिकारियों ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि इस संबंध में अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.
महापौर ने कहा कि टीमें दुकानें बंद कर रही हैं
वहीं टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक महापौर ने कहा कि, “हम 'आदेश' के अनुसार प्रतिबंध लागू कर रहे हैं और दुकानदारों को कार्रवाई से बचने के निर्णय के बारे में सूचित करने के बाद टीमें दुकानें बंद कर रही हैं. निर्णय का लोगों ने स्वागत किया है और स्वच्छता बनाए रखने में मदद करेगा. ”उन्होंने कहा कि नवरात्र के अंतिम तीन दिनों में बूचड़खाने बंद रहेंगे. तथ्य यह है कि बूचड़खाना पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आता है और यह वर्ष में 27 दिनों के लिए मानदंडों के अनुसार बंद रहता है. पूर्वी निगम के एक अधिकारी ने बताया कि इनमें नवरात्र के आखिरी तीन दिन शामिल हैं.
महापौर मुकेश सूर्यन ने पिछले दिनों SDMC के कमिश्नर को लिखा था पत्र
बता दें कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर मुकेश सूर्यन ने 4 अप्रैल को SDMC के कमिश्नर को एक पत्र लिखकर नवरात्र के मौके पर मंदिरों के करीब खुले में मीट बेचने वाली दुकानों को 11 अप्रैल तक बंद रखने और साफ सफाई के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने के लिए कहा था. पत्र में कहा गया था कि, " 2 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल तक नवरात्र हैं, इस दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा की उपासना करते हैं और अपने और परिजनों के लिए मां से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर जाते हैं." सूर्यान ने आगे लिखा है कि इन दिनों में श्रद्धालु केवल शाकाहारी भोजन करते हैं, कुछ लोग प्याज और लहसुन का भी इस्तेमाल नहीं करते है.
दक्षिण निगम के अधिकारियों ने कहा दुकानों को बंद करने के लिए नहीं भेज गई टीमें
वहीं टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण निगम के अधिकारियों ने बताया कि नवरात्रों के दौरान मांस की खपत कम होती है और चूंकि मंगलवार को कई मांस की दुकानें वैसे भी बंद रहती हैं, इसलिए कुछ दुकानें वास्तव में बंद हो सकती हैं. एक अधिकारी ने कहा, "विभाग द्वारा कहीं भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है और हमें महापौर द्वारा आयुक्त को लिखे गए किसी भी पत्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कहीं भी मांस की दुकानों को बंद करने के लिए कोई टीम नहीं भेजी गई है.
दक्षिण निगम क्षेत्र में लगभग 1,600 लाइसेंस प्राप्त मीट शॉप्स हैं और लाइसेंस नीति के तहत, किसी भी दुकान को मंदिर या धार्मिक स्थलों से 150 मीटर की दूरी के भीतर संचालित करने की अनुमति नहीं है.
कांग्रेस पार्षद ने कहा कि मेयर ने ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनाया हथकंडा
वहीं विपक्षी दलों का आरोप है कि मेयर ने ध्यान आकर्षित करने के लिए यह हथकंडा अपनाया है. वरिष्ठ कांग्रेस पार्षद अभिषेक दत्त ने कहा “महापौर या निगम का कोई भी नेता इस तरह के आदेश जारी नहीं कर सकता है. वे केवल आयुक्त को सुझाव या निर्देश दे सकते हैं, जो बाद में विभाग से आदेश जारी करने के लिए कह सकते हैं. ”
उन्होंने आगे कहा कि मेयर बार-बार मंदिरों के पास मांस की दुकानों को बंद करने पर जोर दे रहे थे. दत्त ने कहा कि, “जब मानदंड स्पष्ट रूप से कहते हैं कि धार्मिक स्थलों के 150 मीटर के दायरे में किसी भी मांस की दुकानों को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, तो ऐसी दुकानें कहां हैं? यदि ये वास्तव में मौजूद हैं, तो उन अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए जिन्होंने उनके अवैध संचालन की अनुमति दी है.”
आप पार्षद ने कहा कि नतीजों के बारे में सोचे बिना गलत सूचना फैलाई जा रही हैं
आप पार्षद प्रेम कुमार ने कहा कि भाजपा नीत नगर निकाय ऐसा व्यवहार कर रहे हैं मानो वे शहर के मालिक हों. उन्होंने कहा कि, "उन्होंने यह भ्रम पैदा किया है और नतीजों के बारे में सोचे बिना गलत सूचना फैलाई है और इससे व्यापारियों और डेली वेजर्स को काफी नुकसान होगा,"
इस बीच पूर्वी निगम के महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने भी जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर अवैध मांस की दुकानों के संचालन पर रोक लगाने का निर्देश दिये. वहीं भाजपा सांसद परवेश साहिब सिंह वर्मा ने "प्रतिबंध" का समर्थन करते हुए कहा कि इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए.
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