Delhi Coronavirus Cases: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1042 नए केस सामने आए हैं और दो लोगों की मौत हुई है. एक दिन में इलाज के बाद 757 मरीज रिकवर हुए हैं. दिल्ली सरकार की तरफ से जारी हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक, राज्य में एक्टिव केस की संख्या 3253 है और संक्रमण दर यानी रिकवरी रेट 4.64 फीसदी है.
गुरुवार को दिल्ली में कोरोना के 965 नए मामले सामने आए थे और एक मरीज की मौत हुई थी. बुधवार को राजधानी में कोरोना के 1009 नए मामले सामने आए थे और एक मरीज की मौत हुई थी. बीते दिनों में दिल्ली में कोरोना के मामलों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. संक्रमण की रफ्तार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से ही दिल्ली में फिर से सार्वजनिक जगहों पर मास्क अनिवार्य कर दिया गया है और बिना मास्क पाए जाने पर 500 रुपये फाइन लगेंगे. इसको लेकर शुक्रवार को आधिकारिक आदेश जारी कर दिया गया है. हांलाकि, निजी कार में सफर करने वाले लोग बिना मास्क पाए जाते हैं तो उनका चालान नहीं काटा जाएगा.
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इस बीच दिल्ली सरकार ने शुक्रवार को स्कूलों के लिए कोविड-19 संबंधी दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि छात्रों और कर्मचारियों को बिना थर्मल स्कैनिंग के स्कूल परिसर में प्रवेश करने नहीं दिया जाए. सरकार ने यह भी कहा कि यदि कोई भी कोविड-19 से संक्रमित पाया जाता है तो संस्थान उनके पृथकवास के लिए उचित कदम उठाए.
दिल्ली सरकार की तरफ से जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार स्कूलों को सलाह दी गई है कि वे छात्रों को भोजन और स्टेशनरी का सामान साझा करने से बचने को कहें. साथ ही इसमें कहा गया है कि अभिभावकों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे बच्चे या परिवार के किसी सदस्य के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने या उनमें कोविड के लक्षण दिखने पर पर उन्हें स्कूल न भेजें.
इसमें कहा गया है, ‘‘यदि किसी छात्र या स्कूल के किसी कर्मचारी में कोरोना वायरस संक्रमण के लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें सामान्य लोगों से दूर किसी खुले स्थान या पृथकवास में रखा जाए.’’ सरकार ने कहा, ‘‘शिक्षकों को यह भी निर्देश दिया जाता है कि यदि कक्षा के किसी भी छात्र में कोरोना वायरस के लक्षण पाए जाते हैं तो वे स्कूल के प्रधानाचार्य को इस बात की जानकारी दें. प्रधानाचार्य की ओर से तुरंत इसकी सूचना ज़ोनल व जिला अधिकारियों को दी जानी चाहिए. स्कूल प्रशासन को अधिकार है कि वे अस्थायी रूप से विशिष्ट भाग को बंद कर सकते हैं या उस क्षेत्र कि घेराबंदी की जा सकती है.’’ इसमें कहा गया है कि स्कूल भवनों के सभी प्रवेश और निकास द्वार का उपयोग छात्रों के प्रवेश और निकास के समय भीड़ से बचने के लिए किया जाना चाहिए.
दिशानिर्देश के मुताबिक, ‘‘कोविड-उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) को बनाए रखने और भीड़ से बचने के लिए स्वयंसेवकों की मदद ली जा सकती है. किसी भी छात्र और कर्मचारी को थर्मल स्कैनिंग के बिना परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.’’
दिल्ली सरकार ने एसओपी में कहा कि स्कूल के प्रधानाचार्यों को सलाह दी जाती है कि वे माता-पिता के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन समितियों (एसएमसी) के साथ बैठक करें ताकि कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन की समीक्षा की जा सके और छात्रों और अभिभावकों के बीच अन्य आत्मविश्वास बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की जा सके.
महामारी के कारण लगभग दो साल के अंतराल के बाद ऑफलाइन कक्षाओं की बहाली के बाद बढ़ते संक्रमण की रिपोर्ट ने चिंता पैदा कर दी है. विशेषज्ञ एक बार फिर स्कूलों को बंद करने के खिलाफ चेतावनी दे रहे हैं. दिल्ली-एनसीआर के स्कूल कोविड के मामलों में वृद्धि के बाद हरकत में आ गए हैं और वायरस के प्रसार को कम से कम करने और इस तरह परिसर को बंद करने से बचने के लिए लगातार सफाई सहित कई उपाय कर रहे हैं.