Delhi Riots: दिल्ली दंगा मामले में आरोपी खालिद सैफी ने खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा, किया ये बड़ा दावा
Delhi Riots 2020: यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी ( Khalid Saifi) की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में पेश वकील ने दलील दी कि उनके खिलाफ हत्या के आरोप तय करने का कोई आधार नहीं है.

Delhi Riots News: दिल्ली दंगा मामले को लेकर यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी ने एक अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. दरअसल, खालिद सैफी दिल्ली के कुछ हिस्सों में फरवरी 2020 में भड़के सांप्रदायिक दंगों से संबंधित एक मामले में हत्या के प्रयास के आरोपों का सामना कर रहे हैं. उनके वकील से अदालत बताया कि सैफी के खिलाफ हत्या के खिलाफ आरोप तय नहीं किया जा सकता.
खालिद सैफी की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में पेश वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि एक बार जब उनके मुवक्किल के खिलाफ शस्त्र अधिनियम के तहत आरोप हटा दिए गए हैं. सैफी के पास से न ही कोई हथियार बरामद हुए हैं, न ही उन पर कथित रूप से गोली चलाने का आरोप है. ऐसे में तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप तय नहीं किया जा सकता.
जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने मौखिक रूप से कहा कि घटनास्थल पर सैफी की मौजूदगी और ‘उकसावे’ को लेकर गवाहों द्वारा दिए गए बयानों को देखते हुए वह याचिका पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं. उन्होंने कहा, “मैं आदेश पारित करूंगा.”
जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कहा, “एक की करनी, सभी की करनी. आप इस बात की जिरह कर सकते हैं कि आप मौजूद थे या नहीं.”
भीड़ ने किया था आदेशों के पालन से इनकार
उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी, 2020 को उस समय सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. जब संशोधित नागरिकता कानून के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा हो गई. दंगों में कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 700 लोग घायल हुए थे. जगतपुरी थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार 26 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खुरेजी खास इलाके में मस्जिदवाली गली में भीड़ जमा हो गई. भीड़ ने पुलिस के मौके से हटने के आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया और पुलिसकर्मियों पर पथराव व हमला किया.
शस्त्र अधिनियम के आरोपों से बरी
पुलिस एफआईआर के मुताबिक किसी ने हेड कांस्टेबल योगराज पर गोली भी चलाई. अभियोजन पक्ष के अनुसार सैफी और पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां ने ‘गैरकानूनी सभा’ को उकसाया था. जनवरी में अधीनस्थ न्यायालय ने सैफी, इशरत जहां और 11 अन्य के खिलाफ हत्या के प्रयास, दंगा और गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने से संबंधित आरोप तय करने का आदेश दिया था. अप्रैल में आधिकारिक रूप से आरोप तय किए गए. हालांकि, सभी 13 आरोपियों को आपराधिक साजिश, उकसावे और साझा इरादे तथा शस्त्र अधिनियम के तहत आरोपों से बरी कर दिया गया था.
'मोदी और योगी की...', यूपी में नजूल विधेयक पर संजय सिंह का बड़ा बयान
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस

