दिल्ली दंगे केस में आरोपी SHO को कोर्ट से बड़ी राहत, जानें क्या है मामला?
Delhi News: कड़कड़डूमा सेशन कोर्ट ने दिल्ली दंगों के दौरान हेट क्राइम के लिए दिल्ली के ज्योति नगर थाने के SHO और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है.

Delhi Riots Case: कड़कड़डूमा सेशन कोर्ट ने दिल्ली दंगों के दौरान हेट क्राइम के आरोप में ज्योति नगर थाने के SHO और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. दरअसल, ज्योति नगर थाने के एसएचओ ने 18 जनवरी 2024 को कड़कड़डूमा कोर्ट के मजिस्ट्रेट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ कड़कड़डूमा कोर्ट की सेशन अदालत में अर्जी दाखिल की थी.
एडिशनल सेशन जज समीर वाजपेयी की कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान आदेश देते हुए कहा कि इस केस में निर्देश पारित करने से पहले SHO के खिलाफ FIR दर्ज करने की मंजूरी नहीं ली गई थी.
सेशन कोर्ट ने मामले में दिए अहम आदेश
कड़कड़डूमा के सेशन कोर्ट ने इस मामले में पेश रिकॉर्ड देखा और वकीलों की दलील सुनने के बाद यह माना कि अगर इस आदेश के संचालक पर रोक नहीं लगाई जाती है तो याचिका का पूरा मूल उद्देश्य विफल हो जाएगा. कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों को ध्यान में रखते हुए 18 जनवरी के लागू आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है.
इसी मामले में याचिकाकर्ता के वकील संजय गुप्ता ने मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में दलील दी कि 18 जनवरी के आदेश के मुताबिक ट्रायल कोर्ट ने SHO के खिलाफ किसी भी किसी भी समुदाय के लोगों के धर्म का अपमान करने, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, गलत तरीके से बंधक बनाने और मृत्यु या अधिक चोट पहुंचाने की धमकी के तहत FIR दर्ज करने का जो आदेश दिया है वो पूरी तरह से गलत है.
यह है पूरा मामला?
दरअसल, 18 जनवरी को कड़कड़डूमा कोर्ट के जज उद्भव कुमार जैन ने दिल्ली दंगों के दौरान नफरती अपराध और शिकायतकर्ता मोहम्मद वसीम को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर करने को लेकर ज्योति नगर थाने के तत्कालीन एसएचओ और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया था. जज ने मामले में आदेश देते हुए कहा था कि मंजूरी की आड़ में उन्हें बचाया नहीं किया जा सकता है.
हालांकि, कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग को लेकर मोहम्मद वसीम द्वारा दायर एक शिकायत पर जारी किया गया. इस मामले में शिकायतकर्ता वसीम ने आरोप लगाया था की दंगा वाले इलाके से भागने का प्रयास करते समय वह गिर गया और दिल्ली पुलिस के कर्मियों ने उसे गाली देना और पीटना शुरू कर दिया.
वहीं, ज्योति नगर के SHO अपने साथी पुलिसकर्मियों को उन्हें वहीं फेंकने का निर्देश दिया जहां बाकी लोग जमीन पर पड़े थे. साथ ही आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया और उन्हें जबरन राष्ट्रगान गाने और जय श्रीराम के साथ वंदे मातरम के नारे को लगाने के लिए कहा.
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