Delhi News: दिल्ली दंगों से जुड़े एक मामले में अदालत ने सोमवार को सात आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला की अगुवाई वाली अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे यह साबित करने में विफल रहा कि आरोपी शिकायतकर्ता की दुकान में आगजनी, तोड़फोड़ और चोरी में शामिल दंगाई भीड़ का हिस्सा थे. इस मामले में न्यायाधीश ने शिकायतकर्ता सलमान मलिक की दुकान में तोड़फोड़ और आगजनी पर ध्यान देते हुए, दंगाई भीड़ के हिस्से के रूप में आरोपियों की पहचान पर चिंता जताई.


आरोपियों को मिला संदेह का लाभ


दूसरी तरफ अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह निसार अहमद ने अपने मोबाइल फोन पर एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें चार आरोपियों की पहचान की गई. हालांकि, अदालत ने कहा कि फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) द्वारा छेड़छाड़ या हेराफेरी के लिए वीडियो की जांच नहीं की गई थी. घटना के समय में विसंगतियों सहित अभियोजन पक्ष के मामले में विरोधाभासों को ध्यान में रखते हुए, न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे विरोधाभासों ने अभियुक्तों का पक्ष लिया. घटना का वीडियो भी अदालत में पेश नहीं किया गया, जिससे अभियोजन पक्ष के मामले पर और संदेह पैदा हो गया.


आरोप साबित नहीं कर पाई पुलिस


दिल्ली दंगा से जुड़े इस मामले में न्यायाधीश ने सुनवाई के बाद कहा कि अभियोजन पक्ष भीड़ में आरोपी व्यक्तियों की उपस्थिति को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा. परिणामस्वरूप सभी सात आरोपी व्यक्तियों को बरी कर दिया गया. आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ दंगा, आगजनी और चोरी सहित भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत गोकलपुरी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था. 


दिल्ली दंगे में 53 लोगों की हुई थी मौत


बता दें कि साल 2020 में एनआरसी और सीएए के विरोध में दिल्ली में कई माह तक प्रदर्शन चलने के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगा हुआ था. इस घटना में कुल 53 लोग मारे गए थे. सैकड़ों लोगों को पुलिस ने इस मामले में गिरफ्तार किया था. साथ ही कई एफआईआर दर्ज किए थे. उन्हीं में से एक मामले में अदालत ने सात आरोपियों को बरी कर दिया. 


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