Delhi Riots: दिल्ली दंगा मामले में दो युवक बरी, पुलिस पर हमले का था आरोप, नहीं साबित हुई पहचान
Delhi Riots 2020: न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों की पहचान साबित नहीं कर पाई. न ही पुख्ता सबूत पेश किए गए.हम केवल दो पुलिस वालों की गवाही पर भरोसा नहीं कर सकते.
Delhi News: चार साल पहले यानी 2020 में एनआरसी (NRC) और सीएए (CAA) के खिलाफ महीनों प्रदर्शन के बाद उत्तर-पूर्वी दिल्ली में घटित दंगा (Delhi Riots 2020) मामले में राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत (Delhi court) ने दो आरोपियों को बड़ी राहत दी है. अदालत ने दंगे के दौरान दो पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोट पहुंचाने के दो आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने कहा कि ठोस तरीके से आरोपियों की पहचान अभियोजन पक्ष अभी तक साबित नहीं कर पाई है, इसलिए आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने आरोपियों में आबिद अली और शेरू उर्फ राजा के खिलाफ एक मामले की सुनवाई के बाद ये फैसला दिया. दोनों पर 23 फरवरी, 2020 को सांप्रदायिक दंगों के दौरान मुख्य विजय पार्क रोड पर संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और पथराव करने वाली दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप था. अभियोजन पक्ष के मुताबिक घटना में एक इंस्पेक्टर और एक हेड कांस्टेबल घायल हो गए थे.
पहचान की प्रक्रिया संदिग्ध
अदालत ने अपने समक्ष मौजूद साक्ष्यों पर गौर करते हुए कहा, ‘‘इन दो पीड़ितों अर्थात घायल पुलिस अधिकारियों द्वारा आरोपी व्यक्तियों की पहचान की पूरी प्रक्रिया संदिग्ध है.’’
आरोपियों को मिला संदेह का लाभ
न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि दोनों की पहचान के संबंध में पुख्ता सबूत नहीं मिले, इसलिए दो पुलिस गवाहों की गवाही पर भरोसा नहीं किया जा सकता. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए, मुझे लगता है कि दोनों आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं. वर्तमान मामले में आरोपियों को उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है.’’
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