Delhi News: 2020 दिल्ली दंगों की ‘साजिश’ मामले में आरोपी खालिद सैफी की जमानत याचिका पर जोरदार बहस हुई. हाईकोर्ट में खालिद की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने पक्ष रखा. उन्होंने कि लोकतंत्र में विरोध करना आतंकवाद नहीं हो सकता. जस्टिस नवीन चावला और शालिंदर कौर की बेंच जमानत पर सुनवाई कर रही थी.


रेबेका जॉन ने कहा, "अगर मैं जंतर मंतर या गांधी पीस फाउंडेशन जैसी जगहों पर किसी प्रदर्शन में शामिल होता हूं, तो क्या इसका मतलब हुआ कि मैं साजिश रच रहा हूं." उन्होंने कहा कि विरोध करना हर नागरिक का हक है और इसे अपराध की तरह पेश करना न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है.


खालिद सैफी की जमानत पर जोरदार बहस


रेबेका जॉन ने दलील दी कि खालिद सैफी के पास से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ. कोई अवैध फंडिंग नहीं मिली. फिर भी पांच साल से जेल में रखा गया है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब दिल्ली पुलिस को खालिद के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला तो जमानत देने में देरी क्यों. अदालत को बताया गया कि पहली पेशी में खालिद सैफी व्हीलचेयर पर थे. उनके शरीर पर प्लास्टर था. रेबेका जॉन ने कहा कि व्हीलचेयर और प्लास्टर से पता चलता है कि खालिद सैफी के साथ हिरासत में क्या हुआ. क्या अदालत के विवेक को झकझोरने के लिए काफी नहीं है.


'सरकार से असहमति रखना भी अपराध है?'


खालिद सैफी के वकील ने कहा कि अगर कोई व्हाट्सएप चैट या बातचीत अभियोजन पक्ष के पास है तो इसे मुकदमे में साबित किया जाना चाहिए. लेकिन UAPA लगाकर किसी को सालों तक जेल में रखना सही नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि क्या अब लोकतंत्र में सरकार से असहमति रखना भी अपराध हो गया है. बता दें कि हाईकोर्ट दिल्ली दंगा मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, मोहम्मद सलीम खान, शिफा-उर-रहमान, शादाब अहमद, अतर खान, खालिद सैफी और गुलफिशा फातिमा सहित अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी. 



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